Math, asked by mangatrompreet, 6 months ago

प्रश्न 1 - पडवा के अलख को समाप्त करने के लिए) द्रोणाधन ने लाख का सुंदर महल बनवाया। कृपयाqy जवाब दें please ​

Answers

Answered by akshai2006
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Answer:

भोपाल. मप्र की राजधानी भोपाल में भी एक ताज महल है। आगरा के और भोपाल के ताजमहल के बीच फर्क इतना है कि आगरा का ताजमहल मुमताज की कब्र के लिए बनाया गया था, जबकि भोपाल का ताज महल पैलेस नवाब ने अपने रहने के लिए बनवाया। उसे मुगल बादशाह शाहजहां ने बनवाया था और इसे भोपाल की नवाब शाहजहां बेगम ने। अंग्रेजों के समय यहां नवाब हुकूमत करते थे।

हाथी के वजन से ज्यादा मेन गेट का वजन

इतिहासकार सैयद अख्तर हुसैन के मुताबिक, नवाब शाहजहां बेगम के जमाने में नागपुर और उत्तर से हमला होने का खतरा काफी रहता था। इस वजह से बेगम ने इस महल के गेट को इतना वजनी बनवाया कि हाथी की टक्कर से भी न टूट पाए। इस गेट के ऊपर लोहे की कीलें लगी हुई हैं। साथ ही, इसका वजन भी हाथी से ज्यादा है।

नजर न लगे इसलिए गेट पर लगाया कांच

- ताज महल में तीन गेट थे। पूर्व की तरफ स्थित गेट से सुबह के समय बाहरी लोगों का आना जाना था।

- बाहरी लोगों से ताज महल की खूबसूरती को नजर न लग जाए इसलिए बेगम ने पूर्वी गेट के ऊपर एक बड़ा शीशा लगवा दिया था।

- सूर्य की रोशनी इस शीशे पर पड़ती थी और चकाचौंध की वजह से लोग ताज महल का दीदार नहीं कर पाते थे। इस तरह से उन्होंने इसे नजर लगने से बचाया था।

- 120 कमरों वाले इस महल के बनने की खुशी में 3 साल तक जश्न चला था।

लगभग 30 लाख रुपए आया खर्च

- 1870 में भोपाल की नवाब शाहजहां बेगम ने अपने निवास के लिए यह ताज महल पैलेस बनवाना शुरू किया।

- 13 साल में 17 एकड़ में फैला यह महल बनकर तैयार हुआ था। इसे बनवाने में लगभग 30 लाख रुपए का खर्च आया था।

सरकार बनाएगी हेरिटेज होटल

- नवाबी खानदान की विरासत समेटे इस महल को अब सरकार नया रंग-रूप देखने जा रही हैं।

- करीब 120 करोड़ रुपए की लागत से इस महल को अब हेरिटेज होटल बनाया जाएगा। इस पैलेस को एक निजी कंपनी को सौंपने की तैयारी है।

- कंपनी 5 साल के भीतर इसमें एक होटल खोलेगी, लेकिन शर्त यह है कि महल के मूल स्वरूप के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।

Answered by Anonymous
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महाभारत में पुरोचन की भूमिका नकारात्मक चरित्र के रूप में है। पुरोचन, दुर्योधन का मंत्री था, जिसने पांडवों को मारने के लिए लाख का घर बनवाया था। महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित और भगवान श्रीगणेश द्वारा लिखित दुनिया के सबसे बड़े ग्रंथ महाभारत में उल्लेख है कि पांडवों से उनकी प्रजा बहुत स्नेह करती थी।

यह बात दुर्योधन को बिल्कुल भी पसंद नहीं थी। तब दुर्योधन ने अपने पिता धृतराष्ट्र से कहा कि वे पांडवों को हस्तिनापुर से हटाकर वारणावत भेज दें। जब हस्तिनापुर निवासी पांडवों के मोह से दूर हो जाएंगे तो हम फिर पांडवों को हस्तिनापुर बुला लेंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो प्रजा युधिष्ठिर को युवराज बनाने के लिए आतुर हो जाएगी। पुत्र मोह से बंधे धृतराष्ट्र ने दुर्योधन की इन बातों को तुरंत मान लिया।

वारणावत वह स्थल था, जहां प्रकृति ने अनुपम सुंदरता चारों तरफ बिखेर रखी थी। दुर्योधन ने अपने मंत्री पुरोचन से कहा कि पांडवों के रहने के लिए वारणावत में लाख का सुंदर महल बनवाया जाए। इस महल का निर्माण करते समय लाख के साथ अत्यंत ज्वलनशील पदार्थों को भी इसमें शामिल किया जाए।

पुरोचन महल बनवाने में व्यस्त हो गया। जब यह बात पांडवों के हितैषी विदुर को पता चली तो उन्होंने तुरंत इससे पांडवों को अवगत कराते हुए सचेत रहने की सलाह दी। विदुर ने लाख के उस महल में जिसका नाम 'लाक्षागृह' था, एक गुप्त रास्ता बनवाया जिसका पता पुरोचन को भी मालूम नहीं था।

पांडव अमूमन उस घर के बाहर प्रकृति की सुंदरता को निहारते रहते थे। एक बार कुंती ने बहुत से ब्राह्मणों को भोजन के लिए आमंत्रित किया और बाद में उन्हें दान-दक्षिणा देकर विदा किया। उसी रात एक भीलनी अपने पांच पुत्रों के साथ उसी लाक्षागृह में सो गई।

उन्हें गुप्तचर से सूचना मिली कि पुरोचन और दुर्योधन उसी रात लाक्षागृह जलाने वाले हैं तब कुंती अपने पांचों पुत्रों के साथ विदुर द्वारा बनाए गए गुप्त मार्ग से बाहर निकल गईं। पुरोचन ने लाक्षागृह जला दिया, लेकिन लाक्षागृह में भीलनी और उसके पांचों पुत्र जिंदा जल कर मर गए। जब यह बात दुर्योधन को पता चली तो वह खुशी से झूमने लगा।

उधर विदुर ने पांडवों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया। इस तरह पुरोचन ने पांडवों को मृत्यु शैय्या पर सुलाने की नाकाम कोशिश की थी।

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