Hindi, asked by nehaverma0245, 5 months ago

प्रश्न 1: पर्यावरण की रक्षा में पृथ्वी और वृक्षों की भूमिका को चित्र सहित स्पष्ट कीजिए
jaldi batie jaruri kam hai aur galat answer mat likhiyega nhi to report karna padega​

Answers

Answered by sambhavkumar659
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Answer:

लोगों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाने के उद्देश्य से पहली बार 22 अप्रैल 1970 को पृथ्वी दिवस मनाया गया। प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिये पर्यावरण संरक्षण पर जोर देने की अवश्यकता है। यह धरती हमें क्या नहीं देती? वर्तमान समय में पृथ्वी के समक्ष चुनौती बढ़ती जनसंख्या की है। धरती की कुल आबादी आज आठ अरब के निकट पहुँच चुकी है। बढ़ती आबादी पृथ्वी पर उपलब्ध संसाधनों पर अधिक दबाव डालती है, जिससे वसुंधरा की नैसर्गिक क्षमता प्रभावित होती है।

बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये पृथ्वी के शोषण की सीमा आज चरम पर पहुँच रही है। जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम-से-कम करना दूसरी सबसे बड़ी चुनौती है। आज हमारी धरती अपना प्राकृतिक रूप खोती जा रही है। विश्व में बढ़ती जनसंख्या, औद्योगीकरण एवं शहरीकरण में तेजी से वृद्धि के साथ-साथ पर्यावरण प्रदूषण की समस्या भी विकराल होती जा रही है।

पृथ्वी को बचाने के लिये हमें मुख्य तौर पर 3 बिन्दुओं पर ध्यान देने की जरूरत है-

1. जलवायु परिवर्तन को बारीकी से समझना होगा और यह समझ केवल वैज्ञानिकों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, आम जन मानस तक इस ज्ञान को पहुँचाने की जरूरत है।

2. खाद्य सुरक्षा हमें अन्न पृथ्वी से ही मिलता है। जिस हिसाब से जनसंख्या बढ़ रही है, उससे आने वाले दिनों में पृथ्वी पर दबाव निःसन्देह काफी ज्यादा बढ़ने वाला है। बढ़ती जनसंख्या को हम तभी खाद्यान्न दे सकते है, जब पृथ्वी बची रहेगी। हमें इस पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

3. हमें पानी पृथ्वी से मिलता है पानी के प्रदषण को कम करने के साथ ही पानी की मात्रा और गुणवत्ता पर भी नजर रखने की जिम्मेदारी लेनी होगी। यह बेहद जरूरी हो गया है।

मानव अपनी आदिम अवस्था से ही अपने पर्यावरण का संरक्षण करता रहा है। इन दिनों मानव और प्रकृति का सम्बन्ध सकारात्मक न होकर विध्वंसात्मक ज्यादा होता जा रहा है। ऐसी स्थिति में पर्यावरण का प्रदूषण सिर्फ समुदाय या राष्ट्र विशेष की समस्या न होकर एक सार्वभौमिक चिन्ता का विषय बन गया है।

पारिस्थितिकीय असन्तुलन हर प्राणी को प्रभावित करता है अतः यह जरूरी हो जाता है कि विश्व के सभी नागरिक पर्यावरण समस्याओं के सृजन में अपनी हिस्सेदारी को पहचाने और इन समस्याओं के समाधान के लिये अपना-अपना योगदान दे। आज विश्व पर्यावरण में असन्तुलन गम्भीर चिन्ता का विषय बन गया है जिस पर अब विचार नहीं ठोस पहल की आवश्यकता है अन्यथा जलवायु परिवर्तन, गरमाती धरती और पिघलते ग्लेश्यिर मानव जीवन के अस्तित्व को खतरे में डाल देंगे।

पर्यावरण शिक्षा का पाठ सीखकर पर्यावरण मित्र ‘नागरिक की भूमिका निभाने से ही प्राकृतिक प्रकोपों से बचा जा सकेगा। वर्तमान में स्थिति यह है कि पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाली हानिकारक गैसों का उत्सर्जन किया जा रहा है। मानवीय जरूरतों के लिये विश्व भर में बड़े पैमाने पर वनों का सफाया किया जा रहा है।

विकासशील देशों द्वारा विकास के नाम पर सड़कों, पुलों और शहरों को बसाने के लिये अन्धाधुन्ध वृक्षों की कटाई की जा रही है। नदियों पर बाँध बनाकर नदियों के प्रवाह को अवरुद्ध करने के साथ ही अनियोजित खनन को बढ़ावा दिया जा रहा है। वर्तमान विश्व की पर्यावरण की अधिकतर समस्याओं का सीधा सम्बन्ध मानव के आर्थिक विकास से है।

Answered by iamaniket85
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Answer:

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