प्रश्न 1 पर्यावरण शब्द दो शब्दों परि और आवरण के मेल से बना है, जिसका अर्थ है हमारे चारों ओर का आवरण यह
आवरण, जिसमें अनेक ऐसे तत्य जीयन विधमान है. जिनसे जीवन फलता फूलता हैं। इन तत्वों का उचित आपसी
संतुलन पर्यावरण को ऐसा रूप देता है जिससे धरती पर उपस्थित सभी जीवधारियों को जीवन के अनुकूल परिस्थितियाँ
प्राप्त होती हैं, किन्तु जब यही संतुलन बिगड़ता है, तब सभी जीवधारियों के लिए परिस्थितियों कठिन से कठिनतम होती
चली जाती हैं। यह कहना शत प्रतिशत सही होगा कि जीवनदायी तत्वों से भरा हमारा पर्यावरण हमारे प्राणी का आधार
हैं इसके संतुलन में ही हमारी मलाई है इसका असंतुलित होना. हमारे लिए प्राणघातक है इसे मानव जीवन की
विडंबना ही कहा जाएगा कि बुद्धिजीवी होते हुए भी हम मनुष्य शायद ऐसी बातें भूल चुके है तभी तो पायावरण की इस
कद अनदेखी कर रहे है. जैसे हमारे जीवन का कोई वास्ता ही न हो।
(क) पर्यावरण का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए
(ख) पर्यावरण में कैसे तत्व विद्यमान है?
(ग) जीवनदायी तत्वों का संतुलन बिगड़ने से क्या नुकसान है।
(घ) गद्याश में मानव जीवन की विडबना किसे बताया गया है।
(ड) लेखक के अनुसार कौन सी बात शत प्रतिशत सही हैं?
(च) प्रस्तुत गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
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