प्रश्न 1 पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (5)
· जागो बंसीवारे ललना।
· जागो मोरे प्यारे।
· रजनी बीती भोर भयो है घर घर खुले किवारे।
· गोपी दही मथत सुनियत है कंगना के झनकारे ।।
· उठो लालजी! भोर भयो है, सुर-नर ठाढे द्वारे।
· ग्वाल बाल सब करत कोलाहल जय-जय शब्द उचारे।।
· माखन रोटी हाथ महलीनी तो गउवन के रखवारे ।
· मीरा के प्रभु गिरिधर नागर शरण आया को तारे।।
Answers
- जागो बंसीवारे ललना!जागो मोरे प्यारे!रजनी बीती, भोर भयो है, घर-घर खुले किंवारे।गोपी दही मथत, सुनियत हैं कंगना के झनकारे।।उठो लालजी! भोर भयो है, सुर-नर ठाढ़े द्वारे।ग्वाल-बाल सब करत कुलाहल, जय-जय सबद उचारै।।माखन-रोटी हाथ मँह लीनी, गउवन के रखवारे।मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सरण आयाँ को तारै।।
पद्यांश की प्रसंग: हिंदी वसंत भाग 2 के इस पाठ में मीरा के पद दिये गए हैं। पहले पद में मीराबाई ने यशोदा माँ द्वारा श्रीकृष्ण को जगाने के किस्से का वर्णन किया है। मीरा के इस पद में माता यशोदा कान्हा को तरह-तरह के प्रलोभन देकर उठाने का प्रयास कर रही हैं।
भोर और बरखा कविता का भावार्थ: मीरा बाई के इस पद में वो यशोदा माँ द्वारा कान्हा जी को सुबह जगाने के दृश्य का वर्णन कर रही हैं। यशोदा माता कान्हा जी से कहती हैं कि ‘उठो कान्हा! रात ख़त्म हो गयी है और सभी लोगों के घरों के दरवाजे खुल गए हैं। ज़रा देखो, सभी गोपियाँ दही को मथकर तुम्हारा मनपसंद मक्खन निकाल रही हैं। हमारे दरवाज़े पर देवता और सभी मनुष्य तुम्हारे दर्शन करने के लिए इंतज़ार कर रहे हैं। तुम्हारे सभी ग्वाल-मित्र हाथ में माखन-रोटी लिए द्वार पर खड़े हैं और तुम्हारी जय-जयकार कर रहे हैं। वो सब गाय चराने जाने के लिए तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। इसलिए उठ जाओ कान्हा!
hii krish
how are you
did you forgot me
why don't you talk to me
sorry if i hurted u but please talk to me
btw good night dear
have sweet sweet dreams of our jk