World Languages, asked by manishasahu2858, 2 months ago

प्रश्न 1 q.1 मुगलकालीन प्रशासनिक व्यवस्था को समझाइए। in hindi explain in detail​

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Answered by jadhavvaibhvai2807
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Answer:

मुगलों का राजत्व सिद्धांत- मुगलों के राजत्व सिद्धांत का मूलाधार ‘शरिअत’ (कुरान एवं हदीस का सम्मिलित नाम) था।

बाबर ने राजत्व संबंधी विचार प्रकट करते हुए कहा है कि ‘‘बादशाही से बढ़कर कोई बंधन नहीं है। बादशाह के लिए एकान्तवास या आलसी जीवन उचित नहीं है। बाबर ने ‘बादशाह’ की उपाधि धारण करके मुगल बादशाहों को खलीफा के नाममात्र के आधिपत्य से भी मुक्त कर दिया। अब वे किसी विदेशी सत्ता अथवा व्यक्ति के अधीन नहीं रहे गये।

हुमायूं बादशाह को ‘पृथ्वी पर खुदा का प्रतिनिधि’ मानता था। उसके अनुसार सम्राट अपनी प्रजा की उसी प्रकार रक्षा करता है जिस प्रकार ईश्वर पृथ्वी के समस्त प्राणियों की रक्षा करता है।

अकबर कालीन मुगल राजत्व सिद्धांत की स्पष्ट व्याख्या अबुल फजल ने ‘आइने-अकबरी’ में की है। अबुल फजल ने अकबर कालीन राजत्व का विवेचन करते हुए लिखा है कि-‘‘राजत्व ईश्वर का अनुग्रह है यह उसी व्यक्ति को प्राप्त होता है जिस व्यक्ति में हजारों गुण एक साथ विद्यमान हो।’’अकबर ने स्वयं को इस्लामी कानूनां के बारे में अंतिम निर्णायक घोषित करके बादशाह की स्थिति को और श्रेष्ठ बना दिया। अकबर राजतंत्र को धर्म एवं संप्रदाय के ऊपर मानता था और उसने रूढ़िवादी इस्लामी सिद्धांत के स्थान पर ‘सुलह कुल’ की नीति अपनायी। जबकि औरंगजेब ने राजतंत्र को इस्लाम का अनुचर बना दिया।

मुगल बादशाहों ने निःसंदेह बादशाह के दो कर्तव्य माने थे-‘जहांबानी’ (राज्य की रक्षा) और ‘जहांगीरी’ (अन्य राज्यों पर अधिकार)।

मुगल साम्राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था का गठन इसके तीसरे बादशाह अकबर द्वारा किया गया, क्योंकि मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर और उसके उत्तराधिकारी हुमायूं को आंतरिक तथा बाह्य संघर्षाें से फुरसत नहीं मिली, साथ ही उनमें प्रशासनिक व्यवस्था के संगठन की समझ भी नहीं थी। मुगल शासन-प्रणाली नौकरशाही पद्धति पर आधारित थी। इस प्रशासनिक व्यवस्था में केंद्रीय शासन के अतिरिक्त प्रान्तीय शासन की भी व्यवस्था थी।

मुग़ल साम्राज्य की केन्द्रीय शासन व्यवस्था

केंद्रीय शासन व्यवस्था का निर्माण मुगल साम्राज्य के केंद्रीय स्वरूप के संचालन के लिए किया गया था। इसे सुचारू रूप से चलाने के लिए कई अधिकारी होते थे। इन अधिकारियों में आधुनिक प्रधानमंत्री के समान एक प्रधान अधिकारी होता था जिसे ‘वकील’ कहा जाता था। वकील की व्यावहारिक शक्तियां सीमित थीं तथा वह सम्राट के अधीन था।

केंद्रीय प्रशासन के अंतर्गत प्रमुख अधिकारी

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