प्रश्न 1.
देश और समाज को आगे बढ़ाने में विस्थापितों के योगदान का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत-पाक विभाजन के पश्चात् विस्थापितों द्वारा देश और समाज को आगे बढ़ाने में दिये गये योगदान का संक्षेप में वर्णन करो।
Answers
जब भारत को 1947 में अंग्रेजों से आजादी मिली तो अंग्रेज जाते-जाते भारत के टुकड़े कर गये और भारत के पश्चिमी हिस्से से पाकिस्तान नामक देश का निर्माण हुआ। ऐसी स्थिति में बहुत सारे लोग विस्थापित होकर भारत में आए। यह विस्थापित लोग पाकिस्तान में अपना सब कुछ छोड़ कर आए थे और भारत आने के बाद इनके पास कुछ नहीं था। ऐसी स्थिति इनके पुनर्वास की आवश्यकता थी ताकि ये अपने जीवन को पुनः व्यवस्थित कर सकें।
भारत सरकार द्वारा उनके कल्याण के लिए कई तरह की योजनाएं और कार्यक्रम चलाए गए। धीरे-धीरे इन विस्थापितों ने स्वयं को भारत की मिट्टी में ढालना शुरू कर दिया और यह भारत में पूरी तरह रच बस गए।
इन विस्थापितों ने देश और समाज को आगे बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया। उसका विवरण इस प्रकार है...
- पाकिस्तान से आए विस्थापित लोगों ने नये देश और उसके वातावरण में रहने के लिए नए-नए हुनर सीखे ताकि वो स्वयं के लिये रोजगार के नए अवसरों को पैदा कर सकें।
- सिंधी समाज के विस्थापितों ने नये नगर बसाये जैसे कि महाराष्ट्र में उल्हास नगर, गुजरात में गांधीधाम और आदिपुर इत्यादि। इन नगरों में उन्होंने अपने व्यापार को आगे बढ़ाया और नये उद्योग केंद्रों को स्थापित किया।
- उत्तर प्रदेश के पीलीभीत, मध्यप्रदेश के शिवपुरी, राजस्थान के श्रीगंगानगर जैसे क्षेत्रों में पंजाबी विस्थापितों ने खाली पड़ी हुई अनुपयोगी जमीन को खेती योग्य बनाया और उस पर खेती करना शुरू किया। शीघ्र ही उनकी मेहनत रंग लाई और उनके खेत फसल से लहलहा उठे इस तरह उनकी समृद्धि के द्वारा खुले।
- दिल्ली में और हरियाणा के करनाल व पानीपत में, उत्तर प्रदेश के कानपुर जैसे शहरों में विस्थापितों ने छोटे-बड़े उद्योगों की स्थापना की।
- सरकार ने भी सरकार ने विस्थापितों को पुनर्वास के लिए कई कार्यक्रम चलाये। विस्थापितों के बच्चों के लिये शिक्षा हेतु नये विद्यालय खोले गये। विस्थापितों की घर की समस्या को दूर करने हेतु कई शहरों में मॉडल टाउन जैसी योजनाएं बनाईं।
- विस्थापितों राजनीति से लेकर विज्ञान, पत्रकारिता, फिल्म, गायन, व्यापार, उद्योग आदि अनेक क्षेत्रों ने अपने नाम का डंका बजवाया।
इस प्रकार 1947 के बाद पाकिस्तान से आये विस्थापितों ने अपनी सूझबूझ और बुद्धिमानी स्वयं को एक नए सिरे से स्थापित किया।