India Languages, asked by pritigaikaiwari, 12 hours ago

प्रश्न 1] विकल्पेभ्यः उचितम् उत्तरं चित्वा लिखत ।
1. 'भा'अर्थात कहते है।
i) रतम्
ii) प्रकाश
iii) तमः​

Answers

Answered by atharvnema507
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Answer:

यद्यपि सर्वजनविदित गर्भोपनिषदादि अनेक आथर्वण उपनिषदें उपलब्ध हैं तथापि उन सब में गोपालतापनी नाम वाली साक्षात्परब्रह्म श्री कृष्ण का निरूपण करनेवाली यह उपनिषद अन्यतम है| वैश्वानरावतार {महाप्रभु} श्रीमद्वल्लभाचार्यजी ने अपने ब्रह्मसूत्रके अणुभाष्य में अनेक स्थलों पर इस उपनिषद के वचनोंको उद्धृत किया है इससे इसकी प्राचीनता तथा प्रामाणिकता सुस्पष्ट सिद्ध होती है | उपासना से ब्रह्मज्ञान की ओर कैसे आगे बढ़ा जा सकता है तथा संसार की आत्यन्तिकी निवृत्तिपूर्वक श्रीकृष्णके स्वरूप की प्राप्ति ही इसका विशेष प्रयोजन है | भगवान और भक्त का क्या सम्बन्ध है इस विषय की विशद विवेचना इस उपनिषद में होने के कारण यह सभी उपनिषदों की मुकुट मणि है | इसमें श्रीकृष्णकी लीला, करुणा, सर्वज्ञता, परिपूर्णता, अप्रतिहतस्वातन्त्र्य तथा उनका स्वरूप सम्पूर्णता से समझाया गया है | अप्रकृताकारवत्वं साकारत्वं , प्राकृताकाररहितत्वं निराकारत्वमिति निष्कर्षः |{ निजइच्छा निर्मिततनु माया गुण गोपार } मानसिक सन्तापों का नाशकरनेवाली यह गोपालतापनी श्रुति अथर्ववेदकी पिप्पलाद शाखा के अंतर्गत है |इसमें मुख्यतया पण्डितवर्य विश्वेश्वर प्रणीत टीका के आधार पर अर्थानुसन्धान किया गया है |तथा गोस्वामी श्रीमदनिरुद्धाचार्यविरचित ब्रह्मामृत भाष्य एवं उन्ही के द्वारा की गयी पीयूषलहरी टीका ही इस स्वाध्याययात्रा में मेरा पाथेय रहा है | और हमारे परम प्रिय चिरञ्जीव , उपनिषत्तत्वानुसंधित्सु श्रीमदभिनन्दनशर्मा जी की प्रेरणा से मैंने इसकी ” शब्दार्थबोधिनी हिन्दी व्याख्या ” करने का प्रयत्न अपनी लघु मनीषा के अनुसार किया है |

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