प्रश्न 10. तेरी गठरी में लागा चोर, मुसाफ़िर जाग ज़रा!' इस पंक्ति में मुसाफ़िर किसे कहा गया है?
A. यात्री को
B. मनुष्य को
C. पथिक को
D. बालकको
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B) मनुष्य को
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गठरी में लागा चोर, मुसाफ़िर जाग ज़रा!' इस पंक्ति में मुसाफ़िर मनुष्य को कहा गया है।
विकल्प ( B ) सही है।
- बाल गोबिम भगत संत कबीर जी का यह दोहा गात्र रहते थे।
- इस पंक्ति में कबीर जी कह रहे है कि हे मनुष्य अब तो जाग जा अर्थात तेरी जीवन रूपी नैया चलती का रही है। समय बीतता जा रहा है । तू सारे व्यर्थ काम छोड़कर प्रभु भक्ति में लग जा।
- कबीर जी जीवन यात्रा पर चल रहे इंसान को सावधान करते हुए कहते है कि जिन्होंने अच्छे कर्म कमाए है, पुण्य प्राप्त किया है उनके पास पुण्य की गठरी है। इस गठरी के पीछे चोर लगे है व तेरे पुण्य चुराने का प्रयत्न कर रहे है। तुम्हारे सत्कर्म चोर न ले जाए।
- प्रभु भक्ति के बिना सारे कार्य व्यर्थ है। तू कुछ नहीं कर सकता । तू सत्य को पहचान तथा अपने अनमोल जीवन को सफल बना।
#SPJ3
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