प्रश्न 11 चौधरी साहब के शब्दों में विलक्षण वक्रता थी स्पष्ट कीजिए
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sorry!i am not knowing your answer
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"चौधरी साहब के शब्दों में विलक्षण वक्रता थी" अर्थात चौधरी साहब के बोलने का तरीका अलग-अलग था या उनकी बोलचाल में कुछ विशेषताएं थीं।
विलक्षण शब्द का अर्थ होता है अलग-अलग, असाधारण, विशेष आदि। जब हम इसे चौधरी साहब के शब्दों के संदर्भ में देखते हैं, तो उनके भाषण में कुछ अलग-अलग तरीकों का प्रयोग था जो अन्य लोगों से थोड़ा अलग दिखता था। चौधरी साहब अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए कई बार एक ही शब्द को दोहराते थे, उनकी बात में कुछ छलांग लगाने की कला थी। इसी कारण उनके शब्दों में विलक्षण वक्रता थी।
Explanation:
चौधरी साहब एक बहुत ही अनोखे व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे। उनकी वाणी भाषा के साथ बहुत विशेष होती थी। वे अपनी बात को समझाने के लिए अलग-अलग शब्दों और वाक्यांशों का प्रयोग करते थे। इसीलिए उनके शब्दों में विलक्षण वक्रता थी।
जैसे, "ये नहीं हो सकता कि हम सबका भला हो जाए"। यहां चौधरी साहब ने "हो जाए" शब्द को दोहराया है जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे इस बात का जोर देना चाहते हैं कि सभी लोगों का भला होना आसान नहीं होता।
एक और उदाहरण है, "अब तो जान जाने का वक्त हो गया है"। यहां चौधरी साहब ने "जान जाने का वक्त हो गया है
विलक्षण शब्द का अर्थ होता है अलग-अलग, असाधारण, विशेष आदि। जब हम इसे चौधरी साहब के शब्दों के संदर्भ में देखते हैं, तो उनके भाषण में कुछ अलग-अलग तरीकों का प्रयोग था जो अन्य लोगों से थोड़ा अलग दिखता था। चौधरी साहब अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए कई बार एक ही शब्द को दोहराते थे, उनकी बात में कुछ छलांग लगाने की कला थी। इसी कारण उनके शब्दों में विलक्षण वक्रता थी।
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