Geography, asked by Srijit2251, 1 year ago

प्रश्न 11.
जीवन निर्वाह कृषि के प्रमुख प्रकार लिखिये।

Answers

Answered by Anonymous
11

निर्वाह कृषि एक आत्मविश्वास है जो कि किसान अपने परिवार के लिए स्वयं ...

Answered by lucky777111
13

Answer:

भारत में कृषि के प्रकार

1. प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि या स्थानान्तरित कृषि : 

(a) प्रारम्भिक जीवन निर्वाह कृषि भूमि के छोटे टुकड़ो पर आदिम कृषि औजारों जैसे लकड़ी के हल, डाओं और खुदार्इ करने वाली छड़ी तथा परिवार अथवा समुदाय श्रम की मदद् से की जाती है। 

(b) इस प्रकार की कृषि प्राय : मानसून, मृदा की प्राकृतिक उर्वरकता और फसल उगाने के लिए अन्य पर्यावरणीय परिस्थितियों की उपयुक्तता पर निर्भर करती हैं। 

(c) यह कर्तन दहन प्रणाली (slash and burn) कृषि है। किसान जमीन के टुकड़े साफ करके उन पर अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए अनाज व अन्य खाद्य फसलें उगाते हैं। 

(d) जब मृदा की उर्वरता कम हो जाती है तो किसान उस भूमि के टुकड़े से स्थानांतरित हो जाते है और कृषि के लिए भूमि का दूसरा टुकड़ा साफ करते है। 

(e) किसान उर्वरक अथवा अन्य आधुनिक तकनीकों का प्रयोग नही करते इसलिए इस प्रकार की कृषि में उत्पादकता कम होती है। 

(f) कृषि के इस प्रकार के स्थानांतरण से प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा मिट्टी की उर्वरता शक्ति बढ़ जाती है। 

(g) देश के विभिन्न भागों में इस कृषि को विभिन्न नामों से जाना जाता है। 

(a) झूम - असम, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड 

(b) पामलू – मणिपुर 

(c) दीपा – छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले ओर अंडमान निकोबार द्वीप समूह। 

2. गहन जीविका कृषि : 

(a) इसमें खेतो का आकार बहुत छोटा होता है। 

(b) इस प्रकार की कृषि उन क्षेत्रों में की जाती है जहाँ भूमि पर जनसंख्या का दबावा अधिक होता है। 

(c) यह श्रम-गहन खेती होती है जहाँ अधिक उत्पादन के लिए अधिक मात्रा में जैव-रासायनिक निवेशों और सिंचार्इ का प्रयोग किया जाता है। 

(d) एक ही क्षेत्रा पर एक से अधिक ख्ेाती कर सकते है । 

(e) उच्च उत्पादकता प्राप्त करने के लिए किसान आधुनिक युक्तियां अपनाते है। 

(f) यह श्रम गहन कृषि है। 

3. वाणिज्यिक कृषि : 

1. इस प्रकार की कृषि का मुख्य लक्ष्य आधुनिक निवेशों जैसे अधिक पैदावार देने वाले बीजों, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग से उच्च पैदावार प्राप्त करना है। 

2. कृषि के वाणिज्यीकरण का स्तर विभिन्न प्रदेशों में अलग-अलग हैं। उदाहरण के लिए हरियाणा और पंजाब में चावल वाणिज्यक फसल है परंतु उड़ीसा में यह एक जीविका फसल है। 

4. रोपण कृषि : 

1. यह भी वाणिज्यिक खेती का एक प्रकार है। 

2. इस प्रकार की खेती में लम्बें-चौड़े क्षेत्रा में एकल फलस बोर्इ जाती है। 

3. रोपण कृषि, उद्योग और कृषि के बीच एक अंतरापृष्ठ है। 

4. रोपण कृषि व्यापक क्षेत्रा में की जाती हैं, जो अत्यधिक पूँजी और श्रमिकों की सहायता से की जाती है। 

5. इससे प्राप्त सारा उत्पादन उद्योग में कच्चे माल के रूप में प्रयोग होता है। 

6. रोपण कृषि में उत्पादन बिक्री के लिए होता हैं। 

7. इसके विकास में परिवहन और संचार साधन से संबंधित उद्योग और बाजार महत्वपूर्ण योगदान देते है। 

8. रोपण फसलों के उदाहरण : चाय, कॉफी, रबड़, गन्ना, केला इत्यादि है।

Explanation:

भारत में कृषि के प्रकार

1. प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि या स्थानान्तरित कृषि : 

(a) प्रारम्भिक जीवन निर्वाह कृषि भूमि के छोटे टुकड़ो पर आदिम कृषि औजारों जैसे लकड़ी के हल, डाओं और खुदार्इ करने वाली छड़ी तथा परिवार अथवा समुदाय श्रम की मदद् से की जाती है। 

(b) इस प्रकार की कृषि प्राय : मानसून, मृदा की प्राकृतिक उर्वरकता और फसल उगाने के लिए अन्य पर्यावरणीय परिस्थितियों की उपयुक्तता पर निर्भर करती हैं। 

(c) यह कर्तन दहन प्रणाली (slash and burn) कृषि है। किसान जमीन के टुकड़े साफ करके उन पर अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए अनाज व अन्य खाद्य फसलें उगाते हैं। 

(d) जब मृदा की उर्वरता कम हो जाती है तो किसान उस भूमि के टुकड़े से स्थानांतरित हो जाते है और कृषि के लिए भूमि का दूसरा टुकड़ा साफ करते है। 

(e) किसान उर्वरक अथवा अन्य आधुनिक तकनीकों का प्रयोग नही करते इसलिए इस प्रकार की कृषि में उत्पादकता कम होती है। 

(f) कृषि के इस प्रकार के स्थानांतरण से प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा मिट्टी की उर्वरता शक्ति बढ़ जाती है। 

(g) देश के विभिन्न भागों में इस कृषि को विभिन्न नामों से जाना जाता है। 

(a) झूम - असम, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड 

(b) पामलू – मणिपुर 

(c) दीपा – छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले ओर अंडमान निकोबार द्वीप समूह। 

2. गहन जीविका कृषि : 

(a) इसमें खेतो का आकार बहुत छोटा होता है। 

(b) इस प्रकार की कृषि उन क्षेत्रों में की जाती है जहाँ भूमि पर जनसंख्या का दबावा अधिक होता है। 

(c) यह श्रम-गहन खेती होती है जहाँ अधिक उत्पादन के लिए अधिक मात्रा में जैव-रासायनिक निवेशों और सिंचार्इ का प्रयोग किया जाता है। 

(d) एक ही क्षेत्रा पर एक से अधिक ख्ेाती कर सकते है । 

(e) उच्च उत्पादकता प्राप्त करने के लिए किसान आधुनिक युक्तियां अपनाते है। 

(f) यह श्रम गहन कृषि है। 

3. वाणिज्यिक कृषि : 

1. इस प्रकार की कृषि का मुख्य लक्ष्य आधुनिक निवेशों जैसे अधिक पैदावार देने वाले बीजों, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग से उच्च पैदावार प्राप्त करना है। 

2. कृषि के वाणिज्यीकरण का स्तर विभिन्न प्रदेशों में अलग-अलग हैं। उदाहरण के लिए हरियाणा और पंजाब में चावल वाणिज्यक फसल है परंतु उड़ीसा में यह एक जीविका फसल है। 

4. रोपण कृषि : 

1. यह भी वाणिज्यिक खेती का एक प्रकार है। 

2. इस प्रकार की खेती में लम्बें-चौड़े क्षेत्रा में एकल फलस बोर्इ जाती है। 

3. रोपण कृषि, उद्योग और कृषि के बीच एक अंतरापृष्ठ है। 

4. रोपण कृषि व्यापक क्षेत्रा में की जाती हैं, जो अत्यधिक पूँजी और श्रमिकों की सहायता से की जाती है। 

5. इससे प्राप्त सारा उत्पादन उद्योग में कच्चे माल के रूप में प्रयोग होता है। 

6. रोपण कृषि में उत्पादन बिक्री के लिए होता हैं। 

7. इसके विकास में परिवहन और संचार साधन से संबंधित उद्योग और बाजार महत्वपूर्ण योगदान देते है। 

8. रोपण फसलों के उदाहरण : चाय, कॉफी, रबड़, गन्ना, केला इत्यादि है।

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