प्रश्न 14 - अब हम तिहरी के विशाल मैदान में थे, जो पहाड़ों से घिरा टापू-सा मालूम होता था, जिसमें दूर एक छोटी-सी पहाड़ी मैदान के भीतर दिखाई पड़ती है। उसी पहाड़ी का नाम है तिहरी-समाधि-गिरि। आसपास के गाँव में भी सुमति के कितने ही यजमान थे, कपड़े की पतली पतली चिरी बत्तियों के गंडे खतम नहीं हो सकते थे, क्योंकि बोधगया से लाए कपड़े खतम हो जाने पर किसी कपडे से बोधगया का गंडा बना लेते थे। वह अपने यजमानों के पास जाना चाहते थे। मैंने सोचा, यह तो हप्ताभर उधर ही लगा देंगे। मैंने उनसे कहा कि जिस गाँव में ठहरना हो, उसमें भले ही गंडे बॉट दो, मगर आसपास के गाँवों में मत जाओ; इसके लिए मैं तुम्हें ल्हासा पहुँचकर रुपये दे दूंगा। सुमति ने स्वीकार किया। (i) 'तिहरी समाधि गिरि क्या है ? 2 2. (ii) यहाँ यजमान शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है? (iii) गंडा किसे कहते हैं? बौद्ध धर्म में इसका क्या महत्व है? 2 (iv) पतली-पतली चिरी बत्तियों के गंडे खतम क्यों नहीं हो सकते थे?
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(1)tihri samadhi giri ak phad ka naam h (2)yha yjman sabdh sumti ke mitro ko kha gya h (3)romal ko ganda khte h(4) ye unka dhrm ka ak hissa h (5) q ki unke khatm hone ke baad kisi bhi kapde se gande bana liye jate the
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