प्रश्न 15. नि.लि. गद्यांश की संर्दभ, प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए?
जब मैं इस कविता को पढता हूँ उस मैना की करूण मूर्ति अत्यन्त साफ होकर सामने आ जाती है
कैसे मैने उसे देखकर भी नहीं देखा और किस प्रकार कवि की आँखे उस विचारी के मर्मस्थल तक पहुँच
गई सोचता हूँ तो हैरान होता रहता हूँ एक दिन वह मैंना उड गई सायंकाल कवि ने उसे नही देखा जब
वह अकेले जाया करती थी उस डाल के अंधेरे मैं जब झींगुर अंधकार में झनकारता रहत था जब हवा में
बॉस के पत्ते झरझराते रहते है पेडो की फांक से पुकारा करता है नींद तोडने वाला संध्यातारा कितना
करुण! उसका गायब हो जाना।
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