Hindi, asked by rakeshtiwari37725, 2 months ago

प्रश्न 16 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढकर नीचे-लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
जब धर्म और जाति के आधार पर राष्ट्र से अलग होने केप्रयास होते है, तभी राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा बढ़ जाता है। प्रत्येक
स्वतन्त राष्ट्र के लिए राष्ट्रीय एकता की भावना आवश्यक होती है। इसके लिए राष्ट्रवासियों में स्नेह, सहिष्णुता, सहयोग तथा उदारता की
भावना होनी चाहिए। राष्ट्रीय एकता के आदर्श को व्यवहार में लाना ही राष्ट्र के प्रति हमारा कर्तव्य है।
1. राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा कब बढ़ जाता है ?
2. राष्ट्रवासियों में किस प्रकार की भावना होनी चाहिए?
3. राष्ट्र के लिए हमारा क्या कर्तव्य है ?
4. राष्ट्र के लिए हमारा क्या कर्तव है ?
5. गद्यांश का सारांश लिखिए।
पीने लापनों के उत्तर लिखिए

Answers

Answered by nitu59699
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Answer:

संवाद में दोनों पक्ष बोलें यह आवश्यक नहीं। प्रायः एक व्यक्ति की संवाद में मौन भागीदारी अधिक लाभकर होती है। यह स्थिति संवादहीनता से भिन्न है। मन से हारे दुखी व्यक्ति के लिए दूसरा पक्ष अच्छे वक्ता के रूप में नहीं अच्छे श्रोता के रूप में अधिक लाभकर होता है। बोलने वाले के हावभाव और उसका सलीका, उसकी प्रकृति और सांस्कृतिक-सामाजिक पृष्ठभूमि को पल भर में बता देते हैं। संवाद से संबंध बेहतर भी होते हैं और अशिष्ट संवाद संबंध बिगाड़ने का कारण भी बनता है। बात करने से बड़े-बड़े मसले, अंतर्राष्ट्रीय समस्याएँ तक हल हो जाती हैं।

पर संवाद की सबसे बड़ी शर्त है एक-दूसरे की बातें पूरे मनोयोग से, संपूर्ण धैर्य से सुनी जाएँ। श्रोता उन्हें कान से सुनें और मन से अनुभव करें तभी उनका लाभ है, तभी समस्याएँ सुलझने की संभावना बढ़ती है और कम-से-कम यह समझ में आता है कि अगले के मन की परतों के भीतर है क्या? सच तो यह है कि सुनना एक कौशल है जिसमें हम प्रायः अकुशल होते हैं। दूसरे की बात काटने के लिए, उसे समाधान सुझाने के लिए हम उतावले होते हैं और यह उतावलापन संवाद की आत्मा तक हमें पहुँचने नहीं देता।

हम तो बस अपना झंडा गाड़ना चाहते हैं। तब दूसरे पक्ष को झुंझलाहट होती है। वह सोचता है व्यर्थ ही इसके सामने मुँह खोला। रहीम ने ठीक ही कहा था-“सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय।” ध्यान और धैर्य से सुनना पवित्र आध्यात्मिक कार्य है और संवाद की सफलता का मूल मंत्र है। लोग तो पेड़-पौधों से, नदी-पर्वतों से, पशु-पक्षियों तक से संवाद करते हैं। राम ने इन सबसे पूछा था क्या आपने सीता को देखा?’ और उन्हें एक पक्षी ने ही पहली सूचना दी थी। इसलिए संवाद की अनंत संभावनाओं को समझा जाना चाहिए।

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