Hindi, asked by thaljeetchelak, 6 months ago

प्रश्न-17 "बैर क्रोध का अचार या मुरब्बा है।" आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के इस कथन को​

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Answered by Kapirajmeenu
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शुक्ल जी अपनी स्थापनाओं में अडिग थे. उन्होंने फिर से दुहराया कि क्रोध अचार या मुरब्बा तभी बनता है जब लम्बे समय तक सब लोग बिना किसी प्रतिवाद और सवाल किये क्रोध को ही एक मूल्य की मान्यता दे देते हैं.

Answered by Riteshsingh354556
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Ritesh singh

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