प्रश्न 17. कविता की निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर बताइए कि इनमें किस ऋतु की चर्चा की गई है? इन पंक्तिय का भावार्थ भी अपने शब्दों में लिखिए-
गरज रहे बादल घनघोर
ठमक-ठमक कर नाचे मोर
पी-पी रटने लगा पपीहा
झन-झन-झन झींगुर का शोर
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ये प्रश्न ‘ध्वनि’ पाठ से लिया गया है। जो कि एक कविता है जिसकी रचना ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ ने की है।
फूटे हैं आमों में बौर,
भौंर वन-वन टूटे हैं।
होली मची ठौर-ठौर,
सभी बंधन छूटे हैं।।
इन पंक्तियों में बसंत ऋतु का वर्णन किया गया है। ये पंक्तियाँ ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ द्वारा रचित कविता की पंक्तियां हैं। इन पंक्तियों में कवि वसंत ऋतु में छाये मनमोहक वातावरण का वर्णन किया है। वसंत ऋतु में आमों में बौर पड़ जाती हैं और भौंरे जगह-जगह मंडराने लगते हैं। होली के आगमन मस्ती छाने लगती है और सभी लोग अपने दुख-दर्द भुलाकर वसंत और होली की मस्ती में डूब जाते हैं।
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इसमे वर्षा ऋतु का वर्णन किया गया है और इसका भाव है कि बादल अपनी सुंदरता बिखेर रही है और मोर मस्ती में झूम रहे है पपीहा अपने मे मदमस्त है तथा पृथ्वी के समस्त प्राणी झूम रहे है ।
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