प्रश्न 2. आशय स्पष्ट कीजिए- (क) अभी न होगा मेरा अंत अभी-अभी ही तो आया है मेरे वन में मृदुल वसंत। हरे-हरे ये पात, डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात। मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर फेरूँगा निदित कलियों पर जगा एक प्रत्यूष मनोहर
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- प्रश्न 2. आशय स्पष्ट कीजिए- (क) अभी न होगा मेरा अंत अभी-अभी ही तो आया है मेरे वन में मृदुल वसंत। हरे-हरे ये पात, डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात। मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर फेरूँगा निदित कलियों पर जगा एक प्रत्यूष मनोहर
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- - (क) अभी न होगा मेरा अंत अभी-अभी ही तो आया है मेरे वन में मृदुल वसंत। हरे-हरे ये पात, डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात। मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर फेरूँगा निदित कलियों पर जगा एक प्रत्यूष मनोहर
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