प्रश्न 2. अपठित पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दो।
थे कर्मवीर कि मृत्यु का भी ध्यान कुछ धरते न थे,
थे युद्धवीर कि काल से भी हम कभी डरते न थे। थे दानवीर कि देह का भी लोभ हम करते न थे,
थे कर्मवीर कि प्राण के भी मोह पर मरते न थे,
(5)
थे भीम तुल्य महाबली अर्जुन समान महारथी,
श्रीकृष्ण लीलमय हुए थे,आप जिनके सारथी। उपदेश गीता का हमारा युद्ध का ही गीत है, जीवन समर में भी जनों को जो दिलाता जीत है।
(1) प्रस्तुत कविता में कौनसा भाव निहित है
(ख) वीरता (2) कविता में किसे महाबली बताया गया है ? (घ) राष्ट्रीय एकता
(क) राष्ट्र-वंदना
(क) अर्जुन को (ख) भीम को
(3) 'समर' शब्द का अर्थ है
(क) युद्ध
(ख) उपदेश
(4) जो युद्ध में नहीं करते है ,वे कहलाते है
(क) कर्मवीर
(ख) दानवीर
(5) 'देह' शब्द का अर्थ है -
(क) महान
(ख) हाथ
(ग) मानवीय प्रेम
(ग) श्रीकृष्ण को (घ) इन सब को
(ग) प्राण (घ) सारथी
(ग) युद्धवीर
(ग) मोह
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जयेश का आंसर नहीं मिला ठीक है अगर मिलेगा तो बता दूंगा
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