Physics, asked by princeyadav20681, 4 months ago

प्रश्न -2 अधोलिखित गद्यांश सप्रसंग व्याखा कुरु -
क) विगतेभ्य: द्विशतवर्षेभ्य: पुष्पोत्सव: जनान आनन्दयति। मध्ये इयं परम्परा स्थगिता आसीत्। परंस्वत्रन्त्रता
प्राप्ते: पश्चात् इयं मनोहारिणी परम्परा पुनः समारब्धा। पुष्पोत्सव: अधापि सोल्लासं सोत्साहं च प्रचलति।
ख) अजिज: दृष्ट्वा स्वामी चकित: भवति। स्वामी शनैःशनैःपेटिकां उदघाटयति। पेटिकायां लघुपात्रं उदघाटयति।
सहसा एका मधुमक्षिकाः निर्गच्छति। तस्यच हस्तं दशति। स्वामी उच्चैः वदति-"अहह !! द्वितीय लघुपात्रं
उदघाटयति। एका अन्या मक्षिका​

Answers

Answered by jigarsinghrajput2008
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okkkkkkkkkkkkkkkk

हल करने का दृष्टिकोण:

संदर्भ एवं प्रसंग

व्याख्या

विशेष सौंदर्य

संदर्भ एवं प्रसंग: प्रस्तुत गद्यांश मोहन राकेश के नाटक 'आषाढ़ का एक दिन' के तृतीय अंक से लिया गया है। यह कालिदास के लंबे कथन का हिस्सा है, जिसमें वह मल्लिका के सम्मुख उसके द्वारा किये गए कार्यों का स्पष्टीकरण दे रहा है।

व्याख्या: कालिदास कहता है कि वह सुविधाएँ प्राप्त करने और महान कहलाने के लिये एक ऐसे क्षेत्र में प्रवेश कर गया जहाँ उसका अधिकार नहीं था। इस प्रकार अनिश्चित क्षेत्र में जाने के कारण वह अपने मूल क्षेत्र अर्थात् रचनाकर्म से दूर हट गया और अब वह जब भी आत्मावलोकन करता है तो उसे अपने क्षेत्र में न होने की पीड़ा परेशान करती है।

रचनात्मक सौंदर्य:

कालिदास यहाँ रचनाकार का प्रतीक है। आधुनिक युग में भी रचनाकार अपना मूल रचनाकर्म छोड़कर महत्ता व सुविधाओं को स्वीकार कर लेते हैं। जो कई बार उनकी उस रचनाधर्मिता को ही नष्ट कर देता है, जिसके कारण उसे वह पद व सम्मान प्राप्त हुआ था।

इन पंक्तियों से स्पष्ट होता है कि सत्ता का मोह सृजनशीलता को किस तरह पथभ्रष्ट कर देता है।

संवाद अत्यधिक लंबा है किंतु उसका आंतरिक तनाव पाठक को आस्वादन प्रक्रिया से वंचित नहीं होने देता है।

तत्समी भाषा के कारण ऐतिहासिकता बनी हुई है परंतु बोधगम्यता में कोई कमी नहीं आई है।

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