प्रश्न-2 "बस की यात्रा" पाठ में सविनय अवज्ञा आंदोलन के बारे में बताया गया है जो कि गांधी जी के द्वारा चलाया गया
था। इसी के आधार पर किन्ही अन्य पांच आंदोलनों के बारे में निम्नलिखित जानकारी एकत्र करके लिखिए।
आंदोलन किसके द्वारा चलाया गया
कब शुरू हुआ और कब तक चला
आंदोलन चलाने का कारण
आंदोलन का आखिरी परिणाम
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सेव साइलेंट वैली आंदोलन
आजाद भारत का पहल बड़ा आंदोलन कहा जा सकता है. यह आंदोलन केरल के वन वर्षा साइलेंट वैली को बचाने के लिए चलाया गया था. केरल के प्रभावी नेता के करुणाकरण और सांसद वीएस विजयराघव वहां एक पनबिजली परियोजना के तहत संयंत्र लगाने के पक्ष में थे. इसी जंगल को बचाने के लिए जन आंदोलन चलाया गया, जिसे 'सेव साइलेंट वैली आंदोलन' कहा गया. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस परियोजना को स्वीकृति नहीं दी थी.
चिपको आंदोलन
70 के दशक में पूरे भारत में जंगलों की कटाई के विरोध में एक आंदोलन शुरू हुआ जिसे चिपको आंदोलन के नाम से जाना जाता है. इस आंदोलन का नाम चिपको आंदोलन इसलिए पड़ा क्योंकि लोग पेड़ों को बचाने के लिए उनसे चिपक या लिपट जाते थे और ठेकेदारों को उन्हें नही काटने देते थे. 1974 में शुरु हुये विश्व विख्यात 'चिपको आंदोलन' की प्रणेता गौरा देवी थी. गौरा देवी 'चिपको वूमन' के नाम से मशहूर हैं. 1973 के अप्रैल महीने में ऊपरी अलकनंदा घाटी के मंडल गांव में इसकी शुरूआत हुई और धीरे-धीरे पूरे उत्तरप्रदेश के हिमालय वाले जिलों में फैल गया. बाद में चंडी प्रसाद भट्ट, गोबिंद सिंह रावत, वासवानंद नौटियाल और हयात सिंह जैसे जागरूक लोग भी शामिल हो गए
चोरा चोरी आंदोलन
1 फरवरी 1922 को चौरीचौरा कांड भारत के इतिहास के पन्नों में कभी ना भूलने वाला काला दिन है। इसी दिन चौरीचौरा थाने के दारोगा गुप्तेश्वर सिंह ने आजादी की लड़ाई लड़ रहे वालंटियरों की खुलेआम पिटाई शुरू कर दी। सत्याग्रहियों जिसके बाद भीड़ पुलिसवालों पर पथराव करने लगी। जवाबी कार्यवाही में पुलिस ने गोलियां चलाई। जिसमें 260 व्यक्तियों की मौत हो गई। पुलिस की गोलियां तब रुकीं जब उनके सभी कारतूस समाप्त हो गए। इसके बाद सत्याग्रहियों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होनें थाने में बंद 23 पुलिसवालों को जिंदा जला दिया।
नमक सत्याग्रह
नमक आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी ने मार्च 1930 में अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम से की थी। यह यात्रा समुद्र के किनारे बसे शहर दांडी के लिए थी जहां जाकर बापू ने भारत में नमक बनाने के लिए अंग्रेजों के एकछत्र अधिकार वाला कानून तोड़ा और नमक बनाया था।
असहयोग आंदोलन
सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के बीच महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया गया। जलियांवाला बाग नरसंहार सहित अनेक घटनाओं के बाद गांधी जी को लगा कि ब्रिटिश हाथों में एक उचित न्यााय मिलने की कोई संभावना नहीं है इसलिए उन्होंने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की गई।
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आजाद भारत का पहल बड़ा आंदोलन कहा जा सकता है. यह आंदोलन केरल के वन वर्षा साइलेंट वैली को बचाने के लिए चलाया गया था. केरल के प्रभावी नेता के करुणाकरण और सांसद वीएस विजयराघव वहां एक पनबिजली परियोजना के तहत संयंत्र लगाने के पक्ष में थे. इसी जंगल को बचाने के लिए जन आंदोलन चलाया गया, जिसे 'सेव साइलेंट वैली आंदोलन' कहा गया. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस परियोजना को स्वीकृति नहीं दी थी.
चिपको आंदोलन
70 के दशक में पूरे भारत में जंगलों की कटाई के विरोध में एक आंदोलन शुरू हुआ जिसे चिपको आंदोलन के नाम से जाना जाता है. इस आंदोलन का नाम चिपको आंदोलन इसलिए पड़ा क्योंकि लोग पेड़ों को बचाने के लिए उनसे चिपक या लिपट जाते थे और ठेकेदारों को उन्हें नही काटने देते थे. 1974 में शुरु हुये विश्व विख्यात 'चिपको आंदोलन' की प्रणेता गौरा देवी थी. गौरा देवी 'चिपको वूमन' के नाम से मशहूर हैं. 1973 के अप्रैल महीने में ऊपरी अलकनंदा घाटी के मंडल गांव में इसकी शुरूआत हुई और धीरे-धीरे पूरे उत्तरप्रदेश के हिमालय वाले जिलों में फैल गया. बाद में चंडी प्रसाद भट्ट, गोबिंद सिंह रावत, वासवानंद नौटियाल और हयात सिंह जैसे जागरूक लोग भी शामिल हो गए
चोरा चोरी आंदोलन
1 फरवरी 1922 को चौरीचौरा कांड भारत के इतिहास के पन्नों में कभी ना भूलने वाला काला दिन है। इसी दिन चौरीचौरा थाने के दारोगा गुप्तेश्वर सिंह ने आजादी की लड़ाई लड़ रहे वालंटियरों की खुलेआम पिटाई शुरू कर दी। सत्याग्रहियों जिसके बाद भीड़ पुलिसवालों पर पथराव करने लगी। जवाबी कार्यवाही में पुलिस ने गोलियां चलाई। जिसमें 260 व्यक्तियों की मौत हो गई। पुलिस की गोलियां तब रुकीं जब उनके सभी कारतूस समाप्त हो गए। इसके बाद सत्याग्रहियों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होनें थाने में बंद 23 पुलिसवालों को जिंदा जला दिया।
नमक सत्याग्रह
नमक आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी ने मार्च 1930 में अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम से की थी। यह यात्रा समुद्र के किनारे बसे शहर दांडी के लिए थी जहां जाकर बापू ने भारत में नमक बनाने के लिए अंग्रेजों के एकछत्र अधिकार वाला कानून तोड़ा और नमक बनाया था।
असहयोग आंदोलन
सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के बीच महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया गया। जलियांवाला बाग नरसंहार सहित अनेक घटनाओं के बाद गांधी जी को लगा कि ब्रिटिश हाथों में एक उचित न्यााय मिलने की कोई संभावना नहीं है इसलिए उन्होंने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की गई।
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