प्रश्न 2 गाँव की प्राकृतिक सुंदरता का वर्णन अपने शब्दों में करते हुए यह बताइए कि आप अपने गाँव की समस्याओं को दूर करने के लिए क्या योगदान देंगे ?
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Answer:
Hi friends
Explanation:
हॉलीवुड फ़िल्म 'मैड मैक्स: फरी रोड' में अभिनेत्री चार्लीज़ थेरॉन का किरदार फ्यूरिओसा 'एक हरियाली भरी जगह' (द ग्रीन प्लेस) पर जाने की सोचती है. ये एक नख़लिस्तान है, जो उस फ़िल्म में तबाह हो चुकी धरती का एक छोटा सा टुकड़ा मात्र है. लेकिन, जब फ्यूरिओसा उस पवित्र इलाक़े में पहुंचती है, तो देखती है कि वहां पेड़ों के ठूंठ खड़े हैं और रेत के टीले बचे हैं. वो बहुत तकलीफ़ से गुज़रते हुए चीखती है. ऐसा लगता है कि बिना दरख़्तों के, सारी उम्मीदें टूट गई हैं.
अमरीका के फ्लोरिडा स्थित ग़ैर सरकारी संगठन ट्री फाउंडेशन की निदेशक मेग लोमैन कहती हैं, "जंगल हमारी दुनिया की लाइफ़लाइऩ हैं. उनके बग़ैर हम पृथ्वी पर ज़िंदगी का पहिया घूमने का तसव्वुर भी नहीं कर सकते हैं."
इस ग्रह को पेड़ जो सेवाएं देते हैं, उनकी फ़ेहरिस्त बहुत लंबी है. वो इंसानों और दूसरे जानवरों के छोड़े हुए कार्बन को सोखते हैं. ज़मीन पर मिट्टी की परत को बनाए रखने का काम करते हैं. पानी के चक्र के नियमितीकरण में भी इनका अहम योगदान है. इसके साथ पेड़ प्राकृतिक और इंसान के खान-पान के सिस्टम को चलाते हैं और न जाने कितनी प्रजातियों को भोजन प्रदान करते हैं. इसके अलावा ये दुनिया के अनगिनत जीवों को आसरा देते हैं. बिल्डिंग मैटीरियल यानी लकड़ी की शक़्ल में ये इंसानों को भी घर बनाने में मदद करते हैं.
पेड़ हमारे लिए इतने काम के हैं, फिर भी हम इन्हें इतनी बेरहमी से काटते रहते हैं, जैसे कि इनकी इस धरती के लिए कोई उपयोगिता ही नहीं. इंसान ये सोचता है कि इनके बग़ैर हमारा काम चल सकता है. हम ये सोचते हैं कि आर्थिक लाभ के लिए पेड़ों की क़ुर्बानी दे सकते हैं. अगर पेड़ इंसान की सोची हुई विकास की प्रक्रिया में बाधा बनें तो इन्हें काटकर हटाया जा सकता है.
जब से मानव जाति ने आज से 12 हज़ार साल पहले खेती करना शुरू किया, तब से हम ने दुनिया के कुल क़रीब छह ख़रब पेड़ों में से आधे को काट डाला है. ये अनुमान विज्ञान पत्रिका 'नेचर' ने 2015 में प्रकाशित रिसर्च में लगाया था
इनमें से ज़्यादातर पेड़ों की कटाई हाल की कुछ सदियों में हुई है. ख़ास तौर से औद्योगीकरण की शुरुआत के बाद, दुनिया के जंगलों की तादाद 32 प्रतिशत घट गई है. ख़ास तौर से ऊष्ण कटिबंधीय इलाक़ों में जंगलों को बेतरह काटा गया है.
आज जो बचे हुए क़रीब 6 ख़रब पेड़ हैं, उनकी संख्या भी बड़ी तेज़ी से घट रही है. हर साल क़रीब 12 अरब पेड़ काटे जा रहे हैं. अगस्त में अमरीका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ स्पेस रिसर्च के आंकड़ों से पता चला था कि ब्राज़ील के अमेज़न नदी के इर्द-गिर्द के जंगलों में आग लगने की घटनाओं में 84 फ़ीसद का इज़ाफ़ा हुआ है.
और ये तो केवल 2018 के मुक़ाबले बढ़ा हुआ आंकड़ा है. पेड़ों को काट कर जलाने की घटनाएं पूर्वी एशिया के इंडोनेशिया से अफ्रीका के मैडागास्कर तक बढ़ रही हैं.
अगर हम धरती पर मौजूद सभी पेड़ काट डालते हैं, तो इससे क़यामत आने के सिवा किसी और मंज़र का तसव्वुर नहीं किया जा सकता है. लेकिन, अगर आज हम धरती के सभी पेड़ लुप्त हो जाने की कल्पना करें, तो शायद हमें ये एहसास हो कि बिना पेड़ों के ये धरती कैसी होगी.
ब्रिटेन के वेल्श स्थित बैंगोर यूनिवर्सिटी में पर्यावरण की प्रोफ़ेसर इज़ाबेल रोज़ा कहती हैं, "अगर हम सभी पेड़ों को काट डालते हैं, तो हम ऐसी धरती पर रह रहे होंगे, जो ज़िंदगी को सहारा नहीं दे सकेगी. दुनिया इतनी भयानक होगी कि वहां किसी जीव के पनपने का तो दूर, मौजूदा जीवों के जीने की कल्पना भी नहीं की जा सकती."
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