Hindi, asked by pyogita152, 2 months ago

प्रश्न-2
लिखिए :
इतना कुछ है भरा वैभव का कोष प्रकृति के भीतर,
निज इच्छित सुख-भोग सहज ही पा सकते नारी-नर।
सब हो सकते तुष्ट, एक सा सब सुख पा सकते हैं,

चाहें तो पल में धरती को स्वर्ग बना सकते हैं
छिपा दिए सब तत्व आवरण के नीचे ईश्वर ने,
संघर्षों से खोज निकाला उन्हें उद्यमी नर ने।
ब्रह्मा से कुछ
लिखा भाग्य में मनुज नहीं लाया है,
,
अपना सुख उसने अपने भुजबल से ही पाया है।
प्रकृति नहीं डर कर झुकती है कभी भाग्य के बल से,
सदा हारती है वह मनुष्य के उद्यम से श्रम-जल से।
भाग्यवाद आवरण पाप का और अस्त्र शोषण का,​

Answers

Answered by oOiLoveYouOo
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