प्रश्न 2 निम्नलिखित अव्यय शब्दों का अर्थ लिखकर एक-एक वाक्य संस्कृत में
लिखिए।
सर्वथा, यथा-तथा. विना, नक्तम् अपि. एकदा सर्वत्र, शनैः, च, सदैव
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Answer:
किसी भी भाषा के वे शब्द अव्यय (Indeclinable या inflexible) कहलाते हैं जिनके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक, काल इत्यादि के कारण कोई विकार उत्पत्र नहीं होता। ऐसे शब्द हर स्थिति में अपने मूलरूप में बने रहते है। चूँकि अव्यय का रूपान्तर नहीं होता, इसलिए ऐसे शब्द अविकारी होते हैं। अव्यय का शाब्दिक अर्थ है- 'जो व्यय न हो।'
उदाहरण
हिन्दी अव्यय : जब, तब, अभी, उधर, वहाँ, इधर, कब, क्यों, वाह, आह, ठीक, अरे, और, तथा, एवं, किन्तु, परन्तु, बल्कि, इसलिए, अतः, अतएव, चूँकि, अवश्य, अर्थात इत्यादि।
संस्कृत अव्यय : अद्य (आज)
ह्यः (बीता हुआ कल)
श्वः (आने वाला कल)
परश्वः (परसों)
अत्र (यहां)
तत्र (वहां)
कुत्र (कहां)
सर्वत्र (सब जगह)
यथा (जैसे)
तथा (तैसे)
कथम् (कैसे)
सदा (हमेशा)
कदा (कब)
यदा (जब)
Answer:
यथा-तथा= जैसा - वैसा- यथा देवदत्तः तथा विष्णुदत्त: अस्ति।
विना= बिना- ज्ञानम् विना सुखम् न भवति ।
नक्तम्= रात को- नक्तम् दधि न भुञ्जीत|
अपि. = भी- अहं अपि पठामि|
एकदा = एक समय- एकदा राजेन्द्रो नाम नेता आसीत्|
सर्वत्र, = सभी जगह- साधवः सर्वत्र न मिलन्ति|
शनैः = धीरे- सः शनैः चलति|
च, = और- रामः श्याम: च क्रिडत:|
सदैव= हमेशा- सः सदैव विद्यालयं गच्छति|