प्रश्न-2 निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
गर्मियो के दिन, दिवा का तमतमाता रूप,
उठी झुलसाती हुई लू, रूई ज्यों जलती हुई भू,
गर्द चिनगी छा गयी, प्रायः हुई दुपहर,
वह तोडती पत्थर।
एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर, दुलक माथे से गिरे सीकर
लीन होते कर्म में फिर ज्यों कहा- मैं तोड़ती पत्थर।
L
प्रश्न-
1) काव्यांश के आधार पर बताइए कि दोपहर का वातावरण कैसा था?
क) हल्की हवा चल रही थी
ख) आकाश में मेघ छाए थे
ग) लू चल रही थी
घ) धूप कम थी
2) उपर्युक्त काव्यांश का उचित शीर्षक क्या होगा?
क) पत्थर
ख) तोड़ती पत्थर
ग) स्त्री
घ) असहाय स्त्री
3) भूमि किस तरह जल रही थी?
क) रूई के समान
ख) रह-रहकर जल रही थी
ग) तवे के समान
घ) अंगीठी के समान
"दोपहर का समास विग्रह क्या है?
क) दो और पहर
ख) दो हैं पहर जिसके
ग) दो पहरों का समूह
घ) दो हैं पहर जो
5) दिवा का तमतमाता रूप बताइए-
क) ग्रीष्म ऋतु
ख) तोड़ती पत्थर
ग) हल्की हवा
घ) आकाश-पाताल
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Answer:
1-) लू चल रही थी
2-) असहाय स्त्री
3) रुई के समान
4)दो पहरों का समूह
5)ग्रीसम ऋतू
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