Hindi, asked by rc7724826080, 6 months ago

प्रश्न.2 : ऋग्वैदिक काल में भारत की सामाजिक आर्थिक तथा धार्मिक दशा का वर्णन करों ?
Description of economic, social and religious system of India in
Regvdeicperiod.​

Answers

Answered by iamsuk1986
2

Answer:आर्थिक स्थिति:-  

कृषि:- आर्यो का आर्थिक जीवन कृषि पर आधारित था । इस समय का कृषक खेती की सभी प्रक्रियाएं- जुताई, बुवाई, सिंचाई और कटाई जानता था । इस काल की प्रमुख उपज गेहूॅं और जौ थी । चावल की खेती करना तो ये लोग जानते ही न थे । ये लोग हल और बैल की सहायता से खेती करते थे । ये लोग कृषि को उर्वर बनाने के लिए खाद तथा सिंचाई का भी प्रयोग करते थे । खेती में सिंचाई की उचित व्यवस्था थी । सिंचाई के लिये नदियों, झीलों, तालाबों तथा कुओं का पानी प्रयोग किया जाता था ।

पशु-पालन:- जोतने आरै बोझा ढोने के लिए बलै रखते थे । सवारी, घुडदौड़ तथा युद्ध के लिए घोड़े रखते थे । इनके अतिरिक्त गाय, बकरी, भेड़, गधे और कुत्ते भी पालते थे । भैंस के विषय में कुछ निश्चित नहीं कहा जा सकता है । पशुओं के गाल पर उसके स्वामी का चिन्ह अंकित कर दिया जाता था । ‘गोपाल’ पशुओं को ‘गोष्ठ’ में चराने ले जाते थे ।

उद्योग-धन्धे:- बढ़ई (तक्षण) रथ आरै गाड़ियॉं बनाते थे तथा लकड़ी की नक्काशी का काम भी करते थे । लोहार (कर्मार) धातु के बर्तन बनाते थे । सोनार सोने के आभूषण बनाते थे । चमड़े का काम करने वाले गोफन, धनुष की डारी, कोड़े, थैले और ढोल बनाते थे । कपड़ा बुनने वाले करघों पर कपड़ा बुनते थे । स्त्रियॉं बूटे का काम, कताई, चटाई की बुनाई और सिलाई का काम करती थी ।

व्यापार:- व्यापार विनिमय द्वारा होता था । विनिमय का मान गाय होती थी, किन्तु ‘निष्क’ नामक सोने के सिक्के भी प्रचलित थे । व्यापारिक वर्ग ‘पणि’ कहलाता था । जमीन का व्यापार नहीं होता था, यद्यपि उस पर स्वामी का अधिकार माना जाता था। कर्ज की भी प्रथा थी । मूल का आठवॉं अथवा सोलहवॉं अंश शायद सूद में लिया जाता था । स्थल के अतिरिक्त जल मार्ग से भी नावों पर व्यापार होता था ।

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