प्रश्न 2. 'ऊँचे कुल का जनमिया
साधू निंदा सोइ॥' भाव स्पष्ट कीजिए।
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ऊंचे कुल का जनमिया, करणी ऊंच न होइ।
सुबरण कलश सुरा भरा, साधु निंदा सोई।।
भावार्थ
कोई चाहे कितने ही उच्च कुल में जन्म ले यदि उसके कर्म व्यवहार आदर्श निम्न हैं तो संसार उसकी निंदा ही करता है जिस प्रकार कलश चाहे सोने का ही क्यों न हो यदि उसमें शराब भरी हुई है तो सज्जन लोग उसे अच्छा नहीं कहते हैं
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