प्रश्न 21 देश में वित्तय आयातकाल पर एक नोट लिखिए।
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वित्तीय आपातकाल लगाना हो सकता है उपयोगी
ए के भट्टाचार्य | Apr 01, 2020 09:34 PM IST
प्रशासन के कामकाज में सुधार की दिशा में काम कर रही संस्था सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी ऐंड सिस्टेमिक चेंज (सीएएससी) ने 26 मार्च को उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की। इसमें मांग की गई है कि कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए देशभर में लागू किए गए लॉकडाउन को देखते हुए केंद्र को वित्तीय आपातकाल घोषित करना चाहिए। यह जनहित याचिका है जिसमें उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि वह केंद्र सरकार को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपातकाल के प्रावधानों का इस्तेमाल करने का आदेश दे।
इससे दो दिन पहले यानी 24 मार्च को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोगों और कंपनियों के लिए विभिन्न वैधानिक नियमों और प्रक्रियाओं के तहत समयसीमा आगे बढ़ाने के सरकार के फैसले के बारे में बताया था और उस दौरान वित्तीय आपातकाल लगाने की संभावना से इनकार किया था। उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि कुछ रिपोर्टों में देश में वित्तीय आपातकाल लागू करने का दावा किया जा रहा है लेकिन सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं है।
हालांकि इस तरह की अटकलों का बाजार गर्म था कि नरेंद्र मोदी सरकार कोविड-19 के कारण पैदा हुई आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए वित्तीय आपातकाल लागू करने पर विचार कर सकती है ताकि अर्थव्यवस्था को इसके प्रतिकूल असर से उबारने के लिए ज्यादा फंड दिया जा सके। वित्तीय आपातकाल को प्रोत्साहन पैकेज से भी जोड़कर देखा जा रहा था। पिछले कई दिनों में कई सरकारों ने इसी तरह के उपाय किए हैं और माना जा रहा है कि मोदी सरकार भी इसकी घोषणा कर सकती है।
वित्तीय आपातकाल में क्या होता है?
भारतीय संविधान में तीन तरह के आपातकाल का प्रावधान है। अनुच्छेद 352 के तहत अगर सरकार को लगता है कि युद्ध, बाहरी हमले या सशस्त्र विद्रोह के कारण देश या उसके किसी भूभाग की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है तो वह राष्ट्रीय आपातकाल लगा सकती है। इस तरह के आपातकाल में केंद्र सरकार सभी तरह की कार्यकारी, विधायी और वित्तीय शक्तियां अपने हाथ में ले लेती है और राज्य सूची में शामिल विषयों पर कानून बना सकती है।