प्रश्न 23.
लैटेराइट मृदा की विशेषताएँ बताइए।
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Answer:
दक्षिण भारत, मध्य प्रदेश और बिहार के पठारों के उच्च स्थलों पर लैटेराइट के निक्षेप पाए गए हैं। ऐसे पठारों की ऊँचाई २,००० से ५,००० फुट, या इससे अधिक है। यहाँ जो निक्षेप बहुत विस्तृत हैं। पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट में भी लैटेराइट के निक्षेप मिले हैं। यहाँ ये पतले स्तर में है। तमिलनाडु के त्रिचनापल्ली जिले में, उच्चतर गोंडवाना और ऊपरी क्रिटेशस संस्तरों के संधिस्थान पर भी लैटेराइट पाया गया है।
भारत के लैटेराइट को उच्चस्तरीय या निम्नस्तरीय लैटेराइट में बाँटा गया है। २,००० फुट से ऊँचे स्थलों पर पाए जानेवाले लैटेराइट को उच्चस्तरीय और उससे कम ऊँचे स्थलों पर पाए जानेवाले लैटेराइट को निम्नस्तरीय लैटेराइट कहा जाता है। निम्नस्तरीय लैटेराइट पूर्वी घाट और बर्मा में पाए जाते हैं। निम्न स्तरवाले लैटेराइट कम स्थूल (massive) और अपरदी (detrital) होते हैं। ये उच्चस्तरीय लैटेराइट के विघटन से बने हैं।
Answer:. Just learn this which I written down
Explanation:. लैटेराइट मृदा (Laterite soil) या 'लैटेराइट मिट्टी'(Laterite) का निर्माण ऐसे भागों में हुआ है, जहाँ शुष्क व तर मौसम बार-बारी से होता है। ... यह मिट्टी चौरस उच्च भूमियों पर मिलती है। इस मिट्टी में लोहा, ऐल्युमिनियम और चूना अधिक होता है। गहरी लेटेराइट मिट्टी में लोहा ऑक्साइड और पोटाश की मात्रा अधिक होती है।