Hindi, asked by mahimalilhare3, 5 months ago

प्रश्न 25-निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या लिखिए।
बानी जगरानी की उदारता बरवानी जाइ,
ऐसी मति उदित उदार कौन की भई।
देवता प्रसिद्ध सिद्ध रिषिराज तपबृद्ध,
कहि कहि हारे सब कहि न काहू लई ।"
अथवा
"कारी करि कोकिल। कहाँ को बैर काढति री,
कूकि कूकि अबहों करे जो किन कोरि लै।
पैडे परे पापी ये कलापी निसि-घोस ज्यों ही,
चातक! रे घातक है, तू हू कान कोरि लै।।"​

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Answered by anitasingh30052
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Answer:

बानी जगरानी की उदारता बरवानी जाइ,

ऐसी मति उदित उदार कौन की भई।

संदर्भ : यह पद हिंदी साहित्य के रीतिकाल के रीतिबद्ध कवि केशवदास द्वारा रचित कविप्रिया के छठा प्रभाव के गिरा का दान वर्णन के कवित्त से संकलित किया गया है

प्रसंग : इस पद के माध्यम से केशवदास मां सरस्वती की वंदना करते हैं

व्याख्या : जगत की स्वामिनी श्री सरस्वती जी की उदारता का जो वर्णन कर सके, ऐसी उदार बुद्धि किसकी हुई है ? बडे-बडे प्रसिद्ध देवता, सिद्ध लोग, तथा तपोबद्ध ऋषिराज उनकी उदारता का वर्णन करते करते हार गये, परन्तु कोई भी वर्णन न कर सका । भावी, भूत, वर्तमान जगत सभी ने उनकी उदारता का वर्णन करने की चेष्टा की परन्तु किसी से भी वर्णन करते न बना । उस उदारता का वर्णन उनके पति ब्रह्माजी चार मुख से करते है, पुत्र महादेव जी पाँच मुख से करते है और नाती ( सोमकार्तिकेय ) छ मुख से करते है, परन्तु फिर भी दिन-दिन नई ही बनी रहती है

विशेष १. सरस्वती वंदना की गई है

Explanation:

यह उत्तर आपकी सहायता करेगा

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