प्रश्न 25. निदेशक, माध्यमिक शिक्षा राजस्थान, बीकानेर की ओर से जिला शिक्षा अधिकारी (मा.) बाँसवाड़ा को रिक्त
पदों की सूचना अविलम्ब भिजवाने हेतु स्मरण-पत्र लिखिए ।
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अथवा
जिला शिक्षा अधिकारी, कमलनेर की ओर से जिले के समस्त उ. मा. वि./ मा. वि. के प्रधानाचार्यों।
प्रधानाध्यापकों को एक पत्र लिखिए जिसमें कक्षा 10 के विद्यार्थियों को गणित, विज्ञान एवं अंगेजी विषयों
के अध्ययन हेतु उत्कर्ष योजना (कम्प्यूटर सी. डी. द्वारा प्रश्नोत्तर विधि से) को प्रभावी ढंग से लागू करने के
निर्देश हों।
उत्तर:
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Answer:
यद्यपि सूचना तथा दूरसंचार तकनीक के अधिक विकसित हो जाने के कारण अब पत्रों का लेखन और प्रेषण बहुत कम हो गया है तथापि पत्र-लेखन का महत्त्व अब भी यथावत् बना हुआ है। पत्र-लेखन में कुछ ऐसी विशेषताएँ हैं जो सन्देश भेजने के अन्य माध्यमों में सम्भव नहीं हैं। पत्र में हम अपने विचारों को यथारुचि विस्तार दे सकते हैं। पत्र में अपने भाव सोच-समझकर अच्छी भाषा में लिखने का पर्याप्त अवसर रहता है। पत्र में यदि कुछ गलत या अशोभनीय लिख जाए तो उसे निरस्त करके पुनः दूसरा पत्र लिखा जा सकता है। पत्र को प्रमाण के रूप में लम्बे समय तक रखा जा सकता है। कभी-कभी
तो लोग पत्र के माध्यम से सदा के लिए मित्र बन जाते हैं ।
एक अच्छे पत्र की विशेषताएँ
पत्र-लेखन एक कला है। एक सुगठित और सन्तुलित पत्र ही उत्तम पत्र माना जाता है। एक अच्छे पत्र में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए
संक्षिप्तता – पत्र में विषय का वर्णन संक्षेप में करना चाहिए। एक ही बात को बार-बार दोहराने की प्रवृत्ति से बचना चाहिए।
संतुलित भाषा का प्रयोग – पत्र में सरल, बोधगम्य भाषा का ही प्रयोग किया जाना चाहिए।
तारतम्यता – पत्र में सभी बातें एक तारतम्य से रखी जानी चाहिए। ऐसा न हो कि आवश्यक बातें तो छूट जाएँ और
पत्र का अधिकांश भाग प्रयुक्त हो जाए। पत्र में सभी बाते उचित क्रम में लिखी होनी चाहिए।
शिष्टता – पत्र में संयमित, विनम्र और शिष्ट शब्दावली का प्रयोग किया जाना चाहिए।
सज्जा – पत्र को साफ-सुथरे कागज पर सुलेख में ही लिखा जाना चाहिए। तिथि, स्थान एवं सम्बोधन यथास्थान लिखने से पत्र में आकर्षण बढ़ जाता है।
पत्र के अंग –
जो बातें सामान्यतः सभी प्रकार के पत्रों में होती हैं उन्हें पत्रों के आवश्यक अंग कहते हैं। पत्रों के छह अंग होते हैं
संबोधन और अभिवादन – यह पत्र में बायीं ओर लिखा जाता है। कार्यालयी और व्यावसायिक पत्रों में संबोधन की विधि निर्धारित होती है, जैसे – महोदय, प्रिय महोदय। अभिवादन भी व्यक्ति के पद या मर्यादा के अनुरूप लिखे जाते हैं।
पत्र भेजने की तिथि – पत्र भेजने वाले के द्वारा दिनांक, महीना और सन् लिखा जाता है।
पत्र की विषय-सामग्री – यह पत्र का मुख्य भाग है। इसी भाग में समाचार, सूचनाएँ, आवेदन, आदेश एवं शिकायत आदि अलग-अलग अनुच्छेद में लिखा जाता है।
पत्र का अंत – पत्र के अंत में दायीं ओर पत्र लिखने वाले के द्वारा अपने पद के अनुरूप शब्द, यथा- भवदीय, शुभेच्छु आदि लिखकर नीचे अपने हस्ताक्षर किए जाते हैं ।
भेजने वाले को पता – दायीं ओर पत्र भेजने वाले का पता लिखा जाता है। इससे पत्र प्राप्त करने वाले को, पत्र भेजने वाले का सही-सही पता ज्ञात हो जाता है और उसे उत्तर भेजने में कठिनाई नहीं होती।
पत्र पाने वाले का पता – पत्र समाप्ति के बाद पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय पत्र तथा लिफाफे पर पत्र पाने वाले का स्पष्ट पता लिखा जाता है। पते के साथ पिन कोड अवश्य लिखना चाहिए।
RBSE Class 10 Hindi रचना पत्र-लेखन
RBSE Class 10 Hindi पत्र-लेखन – कायालयी पत्र
‘कार्यालयी पत्र’ अंग्रेजी के ‘ऑफीशियल लेटर’ का हिन्दी रूपान्तर है। इस वाक्य के पत्रों का आदान-प्रदान जिन-जिन । के बीच होता है, उनमें से प्रमुख निम्नांकित हैं:
किसी देश की सरकार और अन्य देश की सरकार के बीच,
कार्यालयों और व्यक्ति विशेष के बीच,
सरकार और दूतावासों के बीच,
सरकार और व्यक्ति विशेष के बीच,
एक राज्य सरकार और दूसरी राज्य सरकार के बीच,
सरकार और अन्य विभागों के बीच,
सरकार और अन्य देशी-विदेशी संस्थानों, संघों या संगठनों के बीच,
केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच,
विशिष्ट विभाग और अधीनस्थ विभागों के बीच
इस प्रकार के समस्त पत्र कार्यालयी पत्राचार के अंतर्गत आते हैं। कार्यालय का आशय, किसी सरकारी, अर्द्धसरकारी, गैर सरकारी, स्वायत्तशासी अथवा वह स्थान विशेष है जहाँ से प्रशासन का संचालन होता है। इसीलिए इस प्रकार के पत्रों को शासकीय या प्रशासकीय पत्र भी कहते हैं। कार्यालयों की दृष्टि से सरकारी कार्यालयों का क्षेत्र बहुत व्यापक और प्रभावशाली होता है, इसलिए कार्यालयी पत्रों पर विचार करते समय सरकारी कार्यालयों से सम्बन्धित पत्रों के लेखन का भी ज्ञान आवश्यक होता है। अन्य कार्यालयों के पत्रों का प्रारूप सरकारी पत्रों का ही प्रतिरूप होता है।
कार्यालयी पत्र लिखते समय ध्यान देने योग्य तथ्य
सबसे ऊपर दायीं ओर कार्यालय, विभाग, संस्थान या मंत्रालय का नाम मुद्रित या टंकित होना चाहिए। पता और पिनकोड भी यहीं लिखना होता है।
उसके नीचे दिनांक, कभी-कभी दिनांक ऊपर