Hindi, asked by tridipmondal10377, 3 months ago

प्रश्न-26
(अ)
(1) जल संरक्षण
(3) राष्ट्रीय एकता
(2) पर्यावरण प्रदुषण
आंतकवाद कारण और निदान
(2) जीवन में श्रम का महत्व
(1) मेरा प्रियकवि
(3) मनोरंजन के साधन
निम्नलिखित निबन्ध विषय पर सारगर्मित निबंध लिखिए।
(ब) निम्नलिखित विषयो में से किसी एक विषय पर रूपरेखा लिखिए-​

Answers

Answered by abhishekkumar65443
1

धरती पर जीवन के अस्तित्व को बनाये रखने के लिये जल का संरक्षण और बचाव बहुत जरूरी होता है क्योंकि बिना जल के जीवन सभव नहीं है। पूरे ब्रह्माण्ड में एक अपवाद के रुप में धरती पर जीवन चक्र को जारी रखने में जल मदद करता है क्योंकि धरती इकलौता अकेला ऐसा ग्रह है जहाँ पानी और जीवन मौजूद है। पानी की जरुरत हमारे जीवन भर है इसलिये इसको बचाने के लिये केवल हम ही जिम्मेदार हैं। संयुक्त राष्ट्र के संचालन के अनुसार, ऐसा पाया गया है कि राजस्थान में लड़कियाँ स्कूल नहीं जाती हैं क्योंकि उन्हें पानी लाने के लिये लंबी दूरी तय करनी पड़ती है जो उनके पूरे दिन को खराब कर देती है इसलिये उन्हें किसी और काम के लिये समय नहीं मिलता है।

राष्ट्रीय अपराध रिकार्डस् ब्यूरो के सर्वेक्षण के अनुसार, ये रिकार्ड किया गया है कि लगभग 16,632 किसान (2,369 महिलाएँ) आत्महत्या के द्वारा अपने जीवन को समाप्त कर चुकें हैं, हालांकि, 14.4% मामले सूखे के कारण घटित हुए हैं। इसलिये हम कह सकते हैं कि भारत और दूसरे विकासशील देशों में अशिक्षा, आत्महत्या, लड़ाई और दूसरे सामाजिक मुद्दों का कारण भी पानी की कमी है। पानी की कमी वाले ऐसे क्षेत्रों में, भविष्य पीढ़ी के बच्चे अपने मूल शिक्षा के अधिकार और खुशी से जीने के अधिकार को प्राप्त नहीं कर पाते हैं।

Answered by rowdy432180123
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2)मनुष्य कार्यशील प्राणी है । वह दिन भर अपने काम में लगा रहता है । शाम को अपने काम से छुट्‌टी पाने पर उसे थकावट महसूस होती है । थकावट दूर करने के लिए उसे शारीरिक और मानसिक विश्राम की आवश्यकता होती है ।

मानसिक विश्राम उसे मनोरंजन द्वारा प्राप्त होता है । इसलि ए मानव जीवन में मनोरंजन का महत्त्वपूर्ण स्थान है । भोजन में जो स्थान अचार-चटनी का है, जीवन में वही स्थान मनोरंजन का है । अचार-चटनी का सेवन करने से जैसे क्षुधा तीव्र हो जाती है वैसे ही मनोरंजन से जीवन को नई शक्ति, स्कूर्ति और नई उमंग प्राप्त होती है ।

हमारे प्राचीन ऋषियों ने जीवन की उदासी, शिथिलता और थकान को दूर करने के लिए ही होली, दीपावली, दशहरा आदि अनेक मनोरंजक उत्सवों का विधान किया था । प्रतिवर्ष ऋतु-परिवर्तन के साथ-साथ जीवन में नई चेतना-शक्ति उत्पन्न करने में उत्सव बड़े सहायक होते थे ।

वर्तमान युग में तो इनकी और भी अधिक आवश्यकता है । यह इसलिए कि दिन भर कोल्हू के बैल की तरह जुते रहने के कारण लोगों की जिंदगी अत्यधिक व्यस्त हो गई है । मानव रुचि एक-सी नहीं होती । इसलिए मनोरंजन के साधन अनेक प्रकार के हैं । उन्हें हम दो भागों में विभाजित कर सकते हैं- हानिकारक और लाभकारक ।

जुआ खेलना, मद्यपान करना, वेश्यागमन आदि मनोरंजन के हानिकारक साधन हैं । मनोरंजन के ऐसे साधनों से जीवन को नई शक्ति नहीं मिलती, जीवन की रही-सही शक्ति भी क्षीण हो जाती है । इसलिए मनोरंजन के ऐसे साधनों से हमें दूर रहना चाहिए ।

प्रात:काल भ्रमण, पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ना, सिनेमा-नाटक देखना, साहित्यिक गोष्ठियों में भाग लेना, कोई खेल खेलना, यात्रा करना, संगीत सुनना, प्राकृतिक दृश्य देखना, नौका-विहार करना, चिड़ियाघर अथवा अजायबघर की सैर करना, कागज के फूल बनाना, चित्रकारी करना, बागबानी करना आदि मनोरंजन के मंगलकारक साधन हैं ।

इनके अतिरिक्त विज्ञान ने आधुनिक युग में मनोरंजन के अन्य साधनों में आश्चर्यजनक वृद्धि की है । आज मनोरंजन का मुख्य साधन है- रेडियो । रेडियो पर तरह-तरह के कार्यक्रम तथा मीठी और सुरीली तान सुनकर श्रोता आनंद-विभोर हो उठते हैं ।

मनोरंजन के साधनों में टेलीविजन का भी प्रमुख स्थान है । यह एक नया आविष्कार है । रेडियो पर हम आवाज केवल सुन सकते हैं, मगर टेलीविजन पर हम आवाज सुनने के साथ-साथ उन्हें देख भी सकते हैं तथा खेलों, नाटकों आदि के आकर्षक चित्र देखकर पर्याप्त आनंद उठा सकते हैं ।

मनोरंजन की दृष्टि से रेडियो और टेलीविजन की अपेक्षा चित्रपट का विशेष महत्त्व है । रेडियो और टेलीविजन से एक ही परिवार के लोगों का मनोरंजन होता है, पर चित्रपट मनोरंजन का सार्वजनिक साधन है । इसके अतिरिक्त रेडियो से केवल कर्णेंद्रिय की ही तृप्ति होती है, नेत्र आनंद से वंचित रह जाते हैं । चित्रपट दोनों इंद्रियों को संतुष्ट करता है ।

सिनेमा में हम नृत्य, संगीत और अभिनय-कला का एक साथ आनंद उठा सकते हैं । सर्वसाधारण, जो अपने घरों में रेडियो अथवा टेलीविजन की व्यवस्था नहीं कर सकते, सिनेमा देखकर ही अपना मन बहला लेते हैं । नदी, पर्वत, लहराते सागर, युद्ध, पात्रों के कार्य-कलाप और उनकी वेशभूषा के मोहक दृश्य देखकर तथा उनके साथ मधुर व ओजस्वी संवाद सुनकर हम अपना मनोरंजन करने के साथ-साथ जीवनोपयोगी शिक्षा भी प्राप्त कर सकते हैं ।

मनोरंजन के अन्य सुलभ साधनों में नाटक, नौटंकी, सर्कस, प्रदर्शनी आदि का महत्त्वपूर्ण स्थान है । सर्कस में शेर, चीते, बंदर, हाथी, भालू आदि के आश्चर्यजनक करतब देखकर दाँतों तले उंगुली दबा लेनी पड़ती है । इनके अतिरिक्त क्रिकेट, फुटबॉल, हाँकी, टेनिस आदि खेलों के मैचों को देखने से भी हमारा पर्याप्त मनोरंजन होता है । मुंबई जैसे बड़े-बड़े नगरों में घुड़दौड़ का दृश्य देखने के लिए लाखों की भीड़ जमा हो जाती है ।

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