Hindi, asked by sumittaken, 1 month ago

प्रश्न 3. गैर-आर्थिक कारक भी आर्थिक विकास में उतने ही महत्त्वपूर्ण हैं, जितने
आर्थिक कारक। टिप्पणी कीजिए।​

Answers

Answered by aditya000709ulsf
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Answered by itspinkglitter
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Answer:

प्रो. अमर्त्य सेन अपनी पुस्तक ‘आर्थिक विकास एवं स्वातन्त्र्य’ में विकास के अनार्थिक घटकों को एक नवीन परिप्रेक्ष में विश्लेषित करते हैं । उनके अनुसार-आज हम एक अप्रत्याशित रूप से समृद्धिशील विश्व में रह रहे है । समृद्धि के इस स्तर की पहले कल्पना भी नहीं की गई थी । ये परिवर्तन केवल आर्थिक पक्ष तक ही सीमित नहीं रह गए हैं- जीवन के अनेक आयामों में आज भारी बदलाव दिखाई दे रहा है । बीसवीं शताब्दी ने लोकतन्त्र एवं भागीदारीपूर्ण प्रशासन को राजनीतिक तंत्र के प्रमुख प्रतिमान के रूप में स्थापित कर दिया है ।

आज के युग में सामान्य संवाद में मानवीय अधिकार और राजनीतिक स्वातन्त्रय सम्बन्धी विचार भी अपना स्थान बना चुके है । जनसामान्य की दीर्घायुता के स्तर भी पहले से कहीं अधिक समृद्ध हो चुके है । विश्व के दूर-दूर के क्षेत्र-उपक्षेत्र भी पहले की अपेक्षा एक-दूसरे के बहुत अधिक निकट आ चुके है । यह निकटता केवल व्यापार-वाणिज्य एवं संचार तक ही सीमित नहीं रही है ।

विचारों और आदर्शों में भी अब यह पारस्परिकता दिखाई देने लगी है ।

किन्तु दुर्भाग्यवश हमारे इसी विश्व में अभाव, दारिद्रय व दमन की समस्यायें भी विकराल रूप से विद्यमान हैं:

ADVERTISEMENTS:

(i) आज भी गरीबी और बुनियादी आवश्यकताओं का बोलबाला है ।

(ii) आज भी विश्व के किसी न किसी भाग में अकाल और व्यापक स्तर पर भूख का साम्राज्य फैला दिखाई देता है ।

(iii) मौलिक, राजनीतिक एवं सामाजिक स्वातन्त्रय के हनन से आज भी संसार के बहुल विशाल जनसमुदाय मुक्त नहीं हो पाए है ।

(iv) अभी भी नारी की वृहतर भूमिका ही नहीं वरन् उसके सामान्य हितों तक की व्यापक पैमाने पर अवहेलना हो रही है ।

Explanation:

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