प्रश्न-3 “कबीर” और “सूरदास” के पदों की व्याख्या कीच्जए। प्रश्न-4. ननम्नललखित गदयाींश को ध्यानपूववक पढकर पूिे गए प्रश्नों के ललए सही ववकल्प चुनकर ललखिए :- (10) असफलता समझदार को भी तोड़ देती है । असफल इींसान इछिाशच्तत, आत्मववश्वास, सही हदशा आहद सब िो बैठता है। लेककन जो इन्हें कसकर पकड़े रहता है, वह हार को जीत में बदलने का सामर्थयव रिता है। एक ग्रीक लेिक के अनुसार जो हम अींदर से हालसल करते हैं, वह बाहर की असललयत को बदल देता है। अींधेरे-उजाले की तरह हार-जीत का दौर भी चलता रहता है। पर न अींधेरा चचरकालीन होता है और न उजाला। घड़ी का बराबर आगे बढना हममें यह आशा भर देता है कक समय ककतना भी उलटा तयों न हो, रुका नहीीं रह सकता। ककसी ववदवान का कथन है कक आदमी की सफलता उसकी ऊँ चाई तक चढने में नहीीं अवपतुइसमें है कक नीचे तक चगरने के बाद वह कफर से ककतना उिल पाता है। असफलता से हमें वह प्रेरणा लमलती है च्जससे हम लक्ष्य तक पहुँचने के नए रास्ते िोजते हैं। हममें कुि करने की कामना जागती है। असफलता नकारात्मक भूल है, तयोंकक उसी में सफलता का मूल निपा है। उसी से बाधाओीं से जूझने की शच्तत लमलती है। दभु ावग्य और हार िदम वेश में वरदान ही होते हैं। असफलता प्रकृनत की वह योजना है च्जससे आदमी के हदल का कूड़ा-करकट जल जाता हैऔर वह शुदध हो जाता है। तब वह उसे उड़ने के ललए नए पींि देती है।
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