प्रश्न : 3 निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
राजा उत्तानपाद और सुनीति की संतान ध्रुव ब्रह्मा का वंशज था। पिता का लाड़-प्यार पाने की
इच्छा से एक बार जब उसने अपने पिता की गोद में बैठना चाहा तो विमाता सुरुचि ने उसे गोद
में बैठने नहीं दिया। अपमानित ध्रुव मन-मसोस कर रह गया और अपनी माँ के पास आकर
रोया। समस्या बहुत गंभीर थी। शान्त-हृदया माँ ने पुत्र को तप करने के लिए प्रेरित किया। तप
करने जाते हुए ध्रुव को मार्ग में नारद मिले। उन्होंने कहा, “ तुम महज क्रोध में आकर कोई
शत्रुतापूर्ण कार्य तो नहीं करने जा रहे हो?"
नारद जी की इस शिक्षा और ध्रुव के निश्चय में कोई विरोध न था। अतः जब नारद ने ध्रुव को
अपने व्रत पर दृढ़ देखा तो उन्होंने भी आशीर्वाद दिया। बोले – “पुत्र ! तेरी माता ने तुझे जिस
मार्ग पर चलने का उपदेश दिया है, वही तेरा कल्याण करने वाला है। तू भगवान की आराधना
कर।"
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
i. ध्रुव कौन था?
ii. उसकी विमाता का क्या नाम था?
iii. ध्रुव मन- मसोस कर क्यों रह गया?
iv. ध्रुव की माता ने उसे क्या करने के लिए प्रेरित किया?
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ध्रुव ब्रह्मा का वंशज था
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