Math, asked by cardyashvant123, 2 months ago

प्रश्न 3.
उत्तर
हमारे देश में प्रचलित विभिन्न संवत्सरों की सूची बनाइऐऔर विक्रम संवत के अनुसार महीनों के नाम लिखिए।


Answers

Answered by Anonymous
24

\huge \fbox \purple{★उत्तर \:  \:  \:  \:  \:  \:  \:  \: ✎}

महीनों के नाम. पूर्णिमा के दिन नक्षत्र.

जिसमें चन्द्रमा होता है

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कार्तिक. कृत्तिका बदी, रोहणी

मृगशिरा, उत्तरा

पौष

पुनर्वसु, पुष्य

माघ मघा, अश्लेशा

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हम आशा करते हैं कि आपको इस उत्तर से मदद मिली होगी।

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{कृपया जवाब गलत होने पर रिपोर्ट न करें, हमने आपको सही उत्तर देने की पूरी कोशिश की है}

\sf \colorbox{gold} {\red(ANSWER ᵇʸ ⁿᵃʷᵃᵇ⁰⁰⁰⁸}

Answered by sadiaanam
0

Answer:

विभिन्न संवत्सरों की सूची (1)विक्रम संवत्(2) ईसवी सन् (संवत्)(3) शक संवत्(4) हिजरी संवत्(5) शालिवाहन संवत्(6) कलिसंवत्विक्रम संवत के अनुसार महीनों के नाम –1. चैत्र 2. वैशाख 3. ज्येष्ठ 4. आषाढ़ 5. श्रावण 6. भाद्रपद 7. अश्विन 8. कार्तिक 9. मार्गशीर्ष 10. पौष 11. माघ 12. फाल्गुन

Step-by-step explanation:

 ब्रह्म पुराण के अनुसार जगत पिता ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन की थी। चैत्र मासि जगत ब्रह्मा संसर्ज प्रथमेऽहनि, शुक्ल पक्षे समग्रेतु तदा सूर्योदय सति।। ब्रह्माजी ने जब सृष्टि की रचना का कार्य आरंभ किया तो चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ‘प्रवरा' तिथि घोषित किया। इसमें धार्मिक, सामाजिक, व्यवसायिक और राजनीतिक अधिक महत्व के जो भी कार्य आरंभ किए जाते हैं, सभी सिद्धफलीभूत होते हैं। कालांतर में भगवान विष्णु के मत्स्यावतार का अविर्भाव और सतयुग का आरंभ भी इसी दौरान हुआ था। प्रवरा तिथि के महत्व को स्वीकार कर, भारत के सम्राट विक्रमादित्य ने भी अपने संवत्सर का आरंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही किया था। आगे चलकर महर्षि दयानंद जी ने भी आर्य समाज की स्थापना इसी दिन करना शुभ संकेत माना। इस दिन संवत्सर पूजन, नवरात्र घट स्थापना, ध्वजारोहण, तैलाभ्याड्ं स्नान, वर्षेशादि पंचाग फल श्रवण, परिभद्रफल प्राशनन और प्रपास्थापन प्रमुख हैं। इस दिन मुख्यतया ब्रह्माजी का व उनकी निर्माण की हुई सृष्टि के प्रधान देवी-देवताओं, यक्ष-राक्षसों, गंधर्वों, ऋषि, मुनियों, मनुष्यों, नदियों, पर्वतों, पशुपक्षियों और कीटाणुओं का ही नहीं, रोगों और उनके उपचारों तक का पूजन किया जाता है। इसका विधिपूर्वक पूजन करने से वर्ष पर्यन्त सुख-शान्ति, समृद्धि आरोग्यता बनी रहती है। 

विक्रम संवत् या विक्रमी भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित हिन्दू पंचांग है।भारत में यह अनेकों राज्यों में प्रचलित पारम्परिक पञ्चाङ्ग है। नेपाल के सरकारी संवत् के रुप मे विक्रम संवत् ही चला आ रहा है। इसमें चान्द्र मास एवं सौर नाक्षत्र वर्ष (solar sidereal years) का उपयोग किया जाता है। प्रायः माना जाता है कि विक्रमी संवत् का आरम्भ ५७ ई.पू. में हुआ था। (विक्रमी संवत् = ईस्वी सन् + ५७) ।इस संवत् का आरम्भ गुजरात में कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से और उत्तरी भारत में चैत्रशुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है। बारह महीने का एक वर्ष और सात दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत् से ही शुरू हुआ। महीने का हिसाब सूर्य व चन्द्रमा की गति पर रखा जाता है। यह बारह राशियाँ बारह सौर मास हैं। पूर्णिमा के दिन, चन्द्रमा जिस नक्षत्र में होता है, उसी आधार पर महीनों का नामकरण हुआ है। चंद्र वर्ष, सौर वर्ष से 11 दिन 3 घटी 48 पल छोटा है, इसीलिए प्रत्येक 3 वर्ष में इसमें 1 महीना जोड़ दिया जाता है (अधिमास, देखें)।

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#SPJ3

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