प्रश्न 4. ननम्नललखित अपहित गदर्ािंश पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के स ी उत्तर ललखिए-
मनुष्य अपने संकल्पों का बना हुआ है। जैसा वह संकल्प करता है, वैसा ही वह होता है।
एक्लव्य ने संकल्प ककया अद्प्रवतीय धनुधरण बनने का। उसने कहा, "यदी मेरी जजज्ञासा सच्ची
होगी तो मुझे कोई िी रोक नहीं पाएगा। इतना ही नहीं, द्रोर्ाचायण ही मेरे गुरु होंगे।और हुआ "
िी वही। स्वयं गुरु द्रोर्ाचायण को उसकी कुदटया तक आना पडा, उसकी धनुप्रवद्ण या हेतु
सवोत्कृष्टता का िमार्पत्र देने के भलए। दृढ संकल्प वाले ककस िकार कायण करते हैं यह िह्लाद -
के जीवन से जाना जा सकता है। ध्रुव बालक सही, पर वह आददयुग की ननष्ठा और प्रवश्वास का
ितीक था। उसने अपने संक्ल्प के बल पर अप्रवचल पद िाप्त कर भलया। िजक्तमती शबरी िी
संकल्पननष्ठा का अिनतम उदाहरर् है।
िश्न:
.1मनुष्य अपने िावी जीवन में कैसा बन जाता है?
.2अपने ककस गुर् के कारर् एकलव्य धनुधरण बन गया?
.3द्रोर्ाचायण ने एकलव्य की धनुप्रवद्ण या को ककस कोदट का बताया?
.4उपयुक्ण त गद्यांश का उधचत शीर्कण हो सकता है-
" .5िजक्तमती शबरी िी संकल्पननष्ठा का अिनतम उदाहरर् है।शब्द ककस "अिनतम" वाक्य में "
िकार का शब्द है?
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