प्रश्न 4. पंत जी के अनुसार पेड़ आकाश की ओर कैसे
निहारते हैं?
अ. शांत और बिना पलक झपकाए
ब. बिना पलक झपकाए तथा अशांत
स. शांत तथा चिंता रहित
द. शांत तथा पलक झपकाते हुए
Answers
Answer:. पंत जी के अनुसार पेड़ आकाश की ओर कैसे निहारते है ?
ब. बिना पलक झपकाए तथा अशांत (यह उत्तर "पर्वत प्रदेश में पावस "की निम्नलिखित काव्य पंक्तियों की अंतिम पंक्ति में है
"गिरिवर के उर से उठ-उठ कर
उच्चाकांक्षाओं से तरुवर
हैं झाँक रहे नीरव नभ पर
अनिमेष, अटल, कुछ चिंतापर।"
{अनिमेष यानि अपलक अर्थात बिना पलक झपकाए , पेड़ चिंता में है और चिंतित मानस शांत नहीं हो सकता अतएव उत्तर (ब ) होगा | }
सही उत्तर है, विकल्प...
(ब) बिना पलक झपकाए तथा अशांत
स्पष्टीकरण:
‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि सुमित्रनंदन पंत जी के अनुसार पेड़ आकाश की ओर बिना पलक झपकाए तथा अशांत भाव से देख रहे हैं।
व्याख्या:
पंतजी कहते हैं कि....
गिरिवर के उर से उठ उठ कर
उच्चाकांक्षाओं से तरुवर
हैं झाँक रहे नीरव नभ पर
अनिमेष, अटल, कुछ चिंतापर।
अर्थात कवि पंत जी कहते हैं कि पहाड़ के ऊपर और पहाड़ के आसपास जो भी पेड़ हैं, वे पूरे दृश्य क्षेत्र की सुंदरता को बढ़ा रहे हैं। पहाड़ों की छाती पर पेड़ उठकर खड़े हो गए हैं और शांत आकाश को अपलक यानी बिना पलक झपकाए और अचल यानी निश्चल भाव से स्थिर होकर किसी गहरी चिंता में मग्न होकर देख रहे हैं।
यहाँ पर गहरी चिंता से तात्पर्य अशांत भाव होकर देखने से है, अतः पेड़ आकाश की ओर बिना पलक झपकाए तथा अशांत भाव से देख रहे हैं।
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