प्रश्न 4 रस के कितने अंग/अवयव है? क. 11 ख.4 ग.9
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रस के 4 अंग होते हैं जो इस प्रकार है: स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव और संचारी भाव । रस के अंग: स्थायी भाव
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नाट्यशास्त्र के प्रणेता आचार्य भरत ने 8 रस माने हैं, तो आचार्य मम्मट और विश्वनाथ ने रसों की संख्या 9 मानी है। आगे चलकर वात्सल्य और भक्ति रस की भी कल्पना की गयी। इस प्रकार 11 रसों की कल्पना हुयी।
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