प्रश्न 5.
1861 के भारत परिषद् अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
Answers
Answer:
विधि- निर्माण की त्रुटिपूर्ण प्रणाली वाइसराय की निषेधात्मक शक्ति (Veto power) तथा विधान परिषद में भारतीयों का न के बराबर प्रतिनिधित्व आदि कारणों ने 1861 के भारत परिषद अधिनियम की पृष्ठभूमि तैयार की।
Explanation:
1861 के भारत परिषद अधिनियम की विशेषताएं:-
1. इसके द्वारा कानून बनाने की प्रक्रिया में भारतीय
प्रतिनिधियों को शामिल करने की शुरुआत हुई। इस
प्रकार वायसराय कुछ भारतीयों को विस्तारित परिषद
में गैर-सरकारी सदस्यों के रूप में नामांकित कर सकता था। 1862 में लॉर्ड कैनिंग ने तीन भारतीयों-बनारस के राजा, पटियाला के महाराजा और सर दिनकर राव को विधान परिषद में मनोनीत किया।
2. इस अधिनियम ने मद्रास और बंबई प्रेसिडेंसियों को विधायी शक्तियां पनः देकर विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया की शुरुआत की। इस प्रकार इस अधिनियम ने रेगुलेटिंग एक्ट, 1773 द्वारा शुरू हुई केंद्रीयकरण की प्रवृत्ति को उलट दिया और 1833 के चार्टर अधिनियम के साथ ही अपने चरम पर पहुंच गया। इस विधायी विकास की नीति के कारण 1937 तक प्रांतों को संपूर्ण आंतरिक स्वायत्तता हासिल हो गई।
3. गैर सरकारी सदस्यों में कुछ उच्च श्रेणी के थे, पर भरतीय सदस्यों की नियुक्ति के प्रति वायसराय बाध्य नहीं था, किन्तु व्यवहार में कुछ गैर सरकारी सदस्य 'उच्च श्रेणी के भारतीय' थे। इस परिषद का कार्य क्षेत्र क़ानून निर्माण तक ही सीमित था
4. इस अधिनियम की व्यवस्था के अनुसार बम्बई (वर्तमान मुम्बई) एवं मद्रास (वर्तमान चेन्नई) प्रान्तों को विधि निर्माण एवं उनमें संशोधन का अधिकार पुनः प्रदान कर दिया गया, किन्तु इनके द्वारा निर्मित क़ानून तभी वैध माने जाते थे, जब उन्हें वायसराय वैध ठहराता था।
5. वायसराय को प्रान्तों में विधान परिषद की स्थापना का तथा लेफ़्टीनेन्ट गवर्नर की नियुक्ति का अधिकार प्राप्त हो गया।
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