प्रश्न 5. 'कर्तव्य पालन' पाठ के आधार पर बताइये कि हम सुख-दुःख के बंधन से मुक्त कैसे हो सकते है? एक विद्यार्थी होने
के नाते आपके क्या कर्त्तव्य है?
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कर्तव्य पालन' पाठ के आधार पर बताइये कि हम सुख-दुःख के बंधन से मुक्त कैसे हो सकते है? एक विद्यार्थी होने के नाते आपके क्या कर्त्तव्य है?
कर्तव्य पालन' पाठ के आधार पर बताइये कि हम सुख-दुःख के बंधन से हम तब मुक्त हो सकते है जब हम सुख और दुःख दोनों स्थितियों में एकसमान रहने से हम सुख-दु:ख के बंधन से मुक्त हो सकते हैं। एकसमान जैसी स्थिति में न ज्यादा हम खुश होगे और न ज्यादा दुखी होगे , हम ऐसी स्थिति में हम न ज्यादा ख़ुशी के बारे सोच रखेंगे और न ही दुःख के बारे में | इस प्रकार हम जो रहा है , जो मिल रहा उस में खुश रहेंगे |
विद्यार्थी होने के नाते हमारा कर्तव्य यह है कि हमें अपना जीवन अनुशासन से व्यतीत करना चाहिए | अपने कर्तव्य को कभी नहीं भूलना चाहिए | अपने बड़ों की बातों को मानना चाहिए |
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