Hindi, asked by vaibhavaugust2006, 11 months ago

प्रश्न 5.लेखिका ने गिलहरी के बच्चे को व्यक्तिवाचक संज्ञा का रूप किस प्रकार दिया?

Chapter Gillu

Answers

Answered by RvChaudharY50
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प्रश्न :- लेखिका ने गिलहरी के बच्चे को व्यक्तिवाचक संज्ञा का रूप किस प्रकार दिया ?

उतर :- गिलहरी जातिवाचक संज्ञा है। इससे सभी गिलहरियों का बोध होता है। लेकिन गिल्लू एक खास गिलहरी का नाम है। जब लेखिका ने गिलहरी के बच्चे को गिल्लू नाम दिया तो यह व्यक्तिवाचक संज्ञा बन गई ।

गिल्लू :-

→ लेखिका के घर में अनेक पालतू पशु-पक्षी थे। लेखिका सभी से प्रेम करती थी। किन्तु इनमें से किसी भी जीव की ऐसी हिम्मत नहीं हुई थी कि वहे लेखिका के साथ उसकी थाली में खाए।

→ लेकिन गिल्लू इन सबसे अलग था। गिल्लू छोटा-सा गिलहरी का बच्चा था लेकिन वह बड़ा समझदार था। लेखिका को चौंकाने और प्रसन्न करने के लिए वह पर्दे पर ऊपर-नीचे दौड़ लगाता था।

→ लेखिका की थाली के पास बैठकर बड़े ढंग से एक-एक चावल उठाकर खाता था। लेखिका के अस्वस्थ होने पर उसके सिरहाने बैठकर सिर और बालों को बड़े धीरे-धीरे सहलाता था। इन्हीं कामों को देखकर सबको आश्चर्य होता था।

→ गिल्लू को लेखिका से देर तक दूर रहना सहन नहीं होता था। जब लेखिका का अस्पताल में भर्ती रहने के कारण कई दिन तक नहीं आई तो गिल्लू माँ से बिछुड़े बच्चे की तरह व्याकुल और उदास हो गया। उसका व्यवहार बदल-सा गया। जब कोई कमरे में आता तो वह झूले से उतरकर दौड़ता हुआ देखने जाता लेकिन किसी अन्य को देखकर वापस झूले में जा बैठता। उसने अपने प्रिय काजू खाना भी बहुत कम कर दिया था। इसका कारण यही था कि वह लेखिका के दिखाई न पड़ने से बेचैन और उदास था।

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Answered by Anonymous
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लेखिका ने गिलहरी के बच्चे को व्यक्तिवाचक संज्ञा का रूप किस प्रकार दिया?

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जैसा कि हम जानते हैं, गिलहैरी एक जतिवाचक सज्ञा है, परन्तु इस कविता में गिलहरी को एक विषेश नाम दिया गया है।इस कविता में गिलहरी का नाम गिल्लू है,जो कि एक व्यक्तिवाचक संज्ञा का रूप है।

अतिर्कत जानकारी -

पहले हम जानते हैं कि गिल्लू कहानी में क्या है।

गुल्लू (कवित्री और कविता के बारे में और जानकारी )- छायावादी कविता के मुख्य निपुणों में से एक महादेवी वर्मा भी है। आधुनिक मीरा के रूप में महादेवी जी को जाना जाता है, उन्हें ज्ञानपीठ और साहित्य अकादमी पुरस्कारों जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

लेखक के जीवन का एक रोचक बात यह थी कि उनको जानवरों से बहुत प्रेम था। पशु क्रूरता के खिलाफ एक मजबूत अधिवक्ता होने के नाते, अपने पालतू जानवरों पर कहानियों की एक विशाल पुस्तक लिखी जिसने अप्रत्याशित रूप से उनके जीवन में कदम रखा।

गिलु, महादेवी जी को उनके बगीचे में घायल पाया गया था। कौवा के ठोकर से गिलु माटी पर निश्चिछल था।वह उसे अपने बेडरूम में ले गई जो कि अगले दो साल तक अपने प्रवास में बनी रही। वह महादेवी जी के साथ खेलता था, उनके हाथों से खाता था। उनको पढ़ाई के वक्त एक टक देखता था। जब एक कार दुर्घटना में महादेवी जी घायल हो तो गिलू ने काजू नहीं खाता था। जब वह अपने घर वापसी की तो उन्होंने देखा कि काजू के एक ढेर गिलु के स्विंग पर ढेर हो गया था। गिल्लू अब तक केवल एकमात्र पशु था, जिसने उसकी प्लेट से खाया है और ऐसा ही कुछ महादेवी को याद करते हैं।

दुर्भाग्यपूर्ण दिन, लेखक ने गिलू के पंजे को ठंडा होते हुए देखा। उसने हीटर पर स्विच करने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आखिरकार गिलु चला गया।

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