प्रश्न 5. 'पथ भूल न जाना पथिक कही,
पथ में काँटे तो होंगे ही, दूर्वादल सरिता सर होंगे।
सुन्दर गिरिवन-वापी होंगे,सुन्दर-सुन्दर निर्झर होंगे।'
इस पद्यांशका भाव अपने शब्दों में लिखिए।
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पथ भूल न जाना पथिक कही,
पथ में काँटे तो होंगे ही, दूर्वादल सरिता सर होंगे।
सुन्दर गिरिवन-वापी होंगे,सुन्दर-सुन्दर निर्झर होंगे।'
भावर्थ : यह पद्यांश हे पथिक कविता से लिया गया है | यह कविता डॉ. शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ द्वारा लिखी गई हैं। हे पथिक , तुम अपने चले हुए रास्ते को भूल मत जाना | तुम्हारे रास्ते में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बहुत सी बाधाएं आएगी और साथ में रास्ते में दूब , घास के पत्ते भी होगें | नदियाँ , सुन्दर-सुन्दर झरने भी होगें | तुम्हें अपने लक्ष्य को प्राप्त करना , अपने ध्यान को नहीं भटकाना है | तुम्हें अपने सही रास्ते में चलकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करना है |
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