प्रश्न 6 छायावादी काव्य के कला पक्ष की विवेचना कीजिए I
Answers
Answered by
1
छायावादी काव्य में भावुकता एवं कल्पनापूर्ण कविताओं की प्रमुखता मिलती है। छायावादी काव्य में चित्रात्मक भाषा का बहुत उपयोग किया गया है , जिससे कविता में एक तरह से नया जीवन आ जाता है। छायावादी काव्य ने कलाओं के ज़रिये द्विवेदी युग में केवल एक उपदेश बन गयीं कविताओं का नया रूप दिया।
Explanation:
hope it helps you please give thanks to me and Mark me as brainliest
Answered by
0
कला पक्ष : कला पक्ष के दृष्टिकोण से भी छायावादी काव्य उतना ही उत्कृष्ट है जितना भाव पक्ष के दृष्टिकोण से |
छायावादी काव्य में खड़ी बोली हिंदी अपने चरम उत्कर्ष पर पहुंच गई | इन कवियों की भाषा चित्रात्मक है | इन कवियों ने कोमलकांत शब्दावली का प्रयोग किया है व संस्कृतनिष्ठ भाषा पर बल दिया है |
छंदों के दृष्टिकोण से छायावादी कवियों ने परंपराओं को तोड़ा है | निराला ने काव्य में ‘मुक्त छंद’ की नींव रखी | फिर भी गेयता इन कवियों की कविताओं की प्रमुख विशेषता रही है | रहस्यवादी भावना के कारण किन कवियों की कविताओं में प्रतीकात्मकता व सांकेतिकता मिलती है |
इन कवियों ने शब्दालंकार अर्थालंकार दोनों प्रकार के अलंकारों का प्रयोग किया है | इन कवियों ने अपने काव्य में अनुप्रास, यमक, श्लेष, पुनरुक्ति, रूपक, उपमा, उत्प्रेक्षा, रूपक, अतिशयोक्ति, मानवीकरण आदि अलंकारों का सुंदर प्रयोग किया है |
◼️ निष्कर्षत: कहा जा सकता है कि छायावाद आधुनिक हिंदी कविता का स्वर्ण युग था | छायावादी कवियों ने खड़ी बोली हिंदी को चरम उत्कर्ष प्रदान किया | हिंदी कविता को नई प्रतिष्ठा मिली | प्रसाद, पंत, निराला, महादेवी वर्मा जैसे महान कवियों ने इस काल में हिंदी कविता को नए आयाम प्रदान किए | इस काल की कविता को पढ़कर पहली बार लोगों ने माना कि खड़ी बोली का माधुर्य ब्रज या अवधी से कम नहीं है | आधुनिक काल का सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य ‘कामायनी’ इसी काल की देन है |
Hope it's help you dear!!
:D
Similar questions