प्रश्न 6, कबीर ने किस सामाजिक बुराई की ओर संकेत किया है और क्यों ?
Answers
कबीर धर्म में व्याप्त पाखंड और आडम्बर के घोर विरोधी थे। वो अलग-अलग धर्मों में किये जाने वाले जटिल कर्मकाण्डों को व्यर्थ मानते थे। उनके अनुसार मंदिरों-मस्जिदों में चिल्लाकर-चिल्लाकर आरती करने या अजान देने से भगवान नही सुनने वाला। वो बहरा नही जो उसे चिल्लाकर पुकारा जाये। कबीर के अनुसार ईश्वर को शुद्ध, निष्कपट हृदय और सच्चे मन से याद करके पाया जा सकता है। ईश्वर तो हम सबमें बसा है बस उसे सच्चे मन से याद करने की आवश्यकता है। कबीर जात-पात और भेदभाव के भी घोर विरोधी थे। उनके अनुसार ईश्वर एक है और संसार के सारे प्राणी उसकी संतान हैं अतः सब बराबर हैं कोई छोटा या बड़ा नही है।
कबीर धर्म में व्याप्त पाखंड और आडम्बर के घोर विरोधी थे। वो अलग-अलग धर्मों में किये जाने वाले जटिल कर्मकाण्डों को व्यर्थ मानते थे। उनके अनुसार मंदिरों-मस्जिदों में चिल्लाकर-चिल्लाकर आरती करने या अजान देने से भगवान नही सुनने वाला। वो बहरा नही जो उसे चिल्लाकर पुकारा जाये। कबीर के अनुसार ईश्वर को शुद्ध, निष्कपट हृदय और सच्चे मन से याद करके पाया जा सकता है। ईश्वर तो हम सबमें बसा है बस उसे सच्चे मन से याद करने की आवश्यकता है। कबीर जात-पात और भेदभाव के भी घोर विरोधी थे। उनके अनुसार ईश्वर एक है और