Hindi, asked by suresh11081949, 3 months ago

प्रश्न-6-निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए:- (क) रैदास के दूसरे पद में जाकी छोति जगत कउ लागे ता पर तुहीं टरै' के माध्यम से कवि प्रभु की किन विशेषताओं को बता रहे है? (ख) रैदास ने प्रभु की चाँद और स्वयं की चकोर से तुलना क्यों की है ?​

Answers

Answered by ITZURADITYAKING
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Explanation:

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  1. 'जाकी छोति जगत कउ लागै' का अर्थ है जिसकी छूत संसार के लोगों को लगती है और 'ता पर तुहीं ढरै' का अर्थ है उन पर तू ही (दयालु) द्रवित होता है। पूरी पंक्ति का अर्थ है गरीब और निम्नवर्ग के लोगों को समाज सम्मान नहीं देता। उनसे दूर रहता है।
  2. मित्र रैदास ने प्रभु की तुलना चाँद से तथा अपनी तुलना चकोर से इसीलिए की है क्योंकि जिस प्रकार चकोर नामक पक्षी, चाँद से प्रेम करता है तथा उसे पाने की लालसा में निरंतर चाँद को निहारता रहता है। उसी प्रकार भक्त भी अपने प्रभु से प्रेम करता है, तथा उसकी कृपा पाने के लिए निरंतर उसकी आेर ताकता रहता है।
Answered by gs7729590
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"['जाकी छोति जगत कउ लागै' का अर्थ है जिसकी छूत संसार के लोगों को लगती है और 'ता पर तुहीं ढरै' का अर्थ है उन पर तू ही (दयालु) द्रवित होता है। पूरी पंक्ति का अर्थ है गरीब और निम्नवर्ग के लोगों को समाज सम्मान नहीं देता। उनसे दूर रहता है।]"

"मित्र रैदास ने प्रभु की तुलना चाँद से तथा अपनी तुलना चकोर से इसीलिए की है क्योंकि जिस प्रकार चकोर नामक पक्षी, चाँद से प्रेम करता है तथा उसे पाने की लालसा में निरंतर चाँद को निहारता रहता है। उसी प्रकार भक्त भी अपने प्रभु से प्रेम करता है, तथा उसकी कृपा पाने के लिए निरंतर उसकी आेर ताकता रहता है।]"

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