प्रश्न 6. 'पायो जी मैंने राम रतन धन पायो' मीराबाई के इस पद का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए तथा तालिका में दिए गए तद्भव
शब्दोंकेतत्सम रूप लिखिए।
Answers
'पायो जी मैंने राम रतन धन पायो' मीराबाई के इस पद का भावार्थ : मीरा जी इस दोहे बता रही है कि मैंने जीवन में राम रूपी रत्न धन प्राप्त कर लिए है | श्रीकृष्ण जी को पाकर मैंने यह मोक्ष का रास्ता प्राप्त कर लिया है | यह धन उन्हें गुरु रविदास जी ने दिया है | राम रूपी धन को प्राप्त करके मैंने कई जन्मों का धन प्राप्त कर लिया | यह धन न कभी खर्च होगा और न कभी यह चोरी होगा | यह धन दिन-रात बढ़ता ही रहता है | जब से यह नाम मुझे प्राप्त हुआ है मेरे लिए दुनियां की सभी चीजों से मेरी मोह माया हट गई है |
मीरा ने राम नाम का एक अलोकिक धन प्राप्त कर लिया हैं.
जिसे उसके गुरु रविदास जी ने दिया हैं.
इस एक नाम को पाकर उसने कई जन्मो का धन एवम सभी का प्रेम पा लिया हैं.
यह धन ना खर्चे से कम होता हैं और ना ही चोरी होता हैं
यह धन तो दिन रात बढ़ता ही जा रहा हैं.
यह ऐसा धन हैं जो मोक्ष का मार्ग दिखता हैं.
इस नाम को अर्थात श्री कृष्ण को पाकर मीरा ने ख़ुशी – ख़ुशी से उनका गुणगान गाया.