Hindi, asked by surajchauhang9120, 6 months ago

प्रश्न -6 दिए गए अपठित गदयांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखें।
आवश्यकता इस बात की है कि हमारी शिक्षा का माध्यम भारतीय भाषा हो, जिससे राष्ट्र के हृदय-मन-प्राण के
सूक्ष्मतम और गम्भीरतम संवेदन मुखरित हों और हमारा पाठ्यक्रम यूरोप तथा अमेरिका के पाठ्यक्रम पर आधरित
न होकर हमारी अपनी सांस्कृतिक परम्पराओं एवं आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करे। भारतीय भाषाओं, भारतीय
इतिहास, भारतीय दर्शन, भारतीय धर्म और भारतीय समाजशास्त्र को हम सर्वोपरि स्थान दें। उन्हें अपने शिक्षाक्रम।
गौण स्थान देकर या शिक्षित जन को उनसे वंचित रखकर हमने राष्ट्रीय संस्कृति में एक महान रिक्ति को जन्म
दिया है, जो नयी पीढी को भीतर से खोखला कर रहा है। हम राष्ट्रीय परम्परा से ही नहीं, सामयिक जीवन प्रवाह से
भी दूर जा पड़े हैं। विदेशी पश्चिमी चश्मों के भीतर से देखने पर अपने घर के प्राणी भी बे-पहचाने और अजीब से
लगने लगे हैं। शिक्षित जन और सामान्य जनता के बीच खाई बढ़ती गई है और विश्व संस्कृति के दावेदार होने क
दम्भ करते
भी हम घर में वामन ही बने रह गए हैं। इस स्थिति को हास्यास्पद ही कहा जा सकता है।
(1) उपर्युक्त गद्यांश का सर्वाधिक उपर्युक्त शीर्षक क्या है ?
(2) हमारी शिक्षा का माध्यम भारतीय भाषा क्यों होना चाहिए ?
(3) हमारी शिक्षा में किस तरह के पाठ्यक्रम की आवश्यकता है?
(4) हमें राष्ट्रीय सांस्कृतिक परम्परा के साथ-साथ और किसे सर्वोपरि स्थान देना चाहिए ?
(5) शिक्षित जन और सामान्य जनता में निरन्तर अन्तर बढ़ने का क्या कारण है ?​

Answers

Answered by pallavisharma14
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Answer:

1. राष्ट्रीय भावना

2. हमारे शिक्षा का माध्यम भारतीय भाषा इसने होना चाहिए ताकि हमारे आने वाली पीढ़ी इस भाषा से वंचित न रह जाए हमें हमारी संस्कृति को भूलना नहीं चाहिए।

3.. हमारे शिक्षा में हमारी संस्कृति और हमारे भारतीय रीति-रिवाजों से संबंधित कार्यक्रमों की आवश्यकता है।

4. हमें राष्ट्रीय संस्कृति परंपरा के साथ-साथ इतिहास भारतीय दर्शन भारतीय धर्म और भारतीय समाजशास्त्र को भी सर्वोपरि स्थान देना चाहिए।

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