प्रश्न 7. जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात् देखा नहीं था तब
तक उनके मानस पटल पर उसका कौन-सा चित्र रहा होगा, अपनी कल्पना
से लिखिए।
को पाशात देवा नहीं था तब तक
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जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात देखा नहीं था तब तक वे सोचते थे की कैप्टन एक रोबदार वयक्तिततव वाला इंसान है उनके मस्तिष्क के पटल पर एक गठीले बदन के पुरुष की छवि अकित थी उनकी चाल में फौजियों जैसी मज़बूती और ठहराव था चेहरे पर तेज़ था उसका पूरा वयक्तिततव ऐसा था जिसे देखकर दूसरा वयक्तित प्रभावित हुए बिना नहीं रहता इस तरह हालदार साहब के दिल और दिमाग़ पर एक फौजी की छवि अकित थी
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जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात रूप से नहीं देखा था तब तक उनके मानस पटल पर कैप्टन का व्यक्तित्व एक फ़ौजी व्यक्ति ‘ जैसा रहा होगा जो लंबे कदवाला मजबूत कद-काठी वाला हट्टा-कट्टा दिखता होगा। उसका चेहरा रोबीला तथा घनी मूंछों वाला रहा होगा। वह अवश्य ही नेताजी की फ़ौज का सिपाही रहा होगा। वह हर कोण से फ़ौजियों जैसा दिखता होगा।
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