प्रश्न 7: ननम्नमलखखत पद्ाांश र्को ध्यान पूर्वर्क पढ़र्कर प्रश्नों के उत्तर मलखखए – – 2×3=6
वे मुतमइन हैंकक पत्थर वपघल नहीं सकता,
मैंबेकरार हूाँआवाि में असर के ललए |
तेरा ननिाम है लसल दे िुबान शार्र की,
र्े एहनतर्ात िरूरी है इस बहर के ललए |
जिएं तो अपने बगीचे में गुलमोहर के तले,
मरें तो गैर की गललर्ों में गुलमोहर के ललए |
(क)कवव अपनी आवाि में असर के ललए तर्ों परेशान है ?
(ख) गुलमोहर ककसका प्रतीक हैऔर कवव गुलमोर के तले िीने की बात तर्ों करता है?
(ग) गिल की भाषा संबंधी ववशेषताएाँ ललखखए |
Answers
वो मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता
मैं बेक़रार हूँ आवाज़ में असर के लिए
तेरा निज़ाम है सिल दे ज़ुबान शायर की
ये एहतियात ज़रूरी है इस बहर के लिए
जिएँ तो अपने बग़ीचे में गुलमोहर के तले
मरें तो ग़ैर की गलियों में गुलमोहर के लिए
दिए गए पद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार हैं...
(क) कवि अपनी आवाज में असर के लिए क्यों परेशान है ?
➲ कवि अपनी आवाज में असर के लिए इसलिए परेशान है ताकि वो अपनी आवाज में असर पैदा करके शासकों के बहरों कानों तक पहुँचा सके।
(ख) गुलमोहर किसका प्रतीक हैऔर कवि गुलमोहर के तले मरने की बात क्यों करता है?
➲ गुलमोहर आजादी का प्रतीक है, और कवि गुलमोहर के तले मरने की बात इसलिये कर रहा है, ताकि वो शासकों की दमनकारी नीतिओं से दूर आजादी के लिये जिये और आजादी के लिये अपने वतन में मरे।
(ग) पद्य की भाषा संबंधी विशेषताएँ लिखिए |
➲ ये पद्यांश ‘दुष्यंत कुमार’ की गजर ‘साये में धूप’ से ली गईं है। इन पंक्तियों में कवि ने उर्दू के कठिन शब्दों का प्रयोग किया है, जैसे मुतमइन, बेकरार, निजाम, एहतिहात, बहर आदि।
कवि ने अपनी इस गजल के माध्यम से शासन करने वाले राजनीतिज्ञों पर कटाक्ष करते हुए कवियों की आजादी की बात की है।
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Answer:
okk an
Explanation:
tui ki amar upor uthe boshlo ur aamar to ur aamar to ur aamar