Hindi, asked by dhamnaji201, 1 month ago

प्रश्न 7.
'प्रकृति यहाँ एकान्त बैठि, निज रूप सँवारति,
पल-पल पलटति, छलक छन छन छवि धारति,
मानों जादू भरी, विश्व बाजीगर थैली,
खेलत में खुल परी, शैल के सिर फैली।'
(i)
उपर्युक्त पंक्तियाँ किस पाठ में आई हैं ?
उत्तर-​

Answers

Answered by shishir303
0

'प्रकृति यहाँ एकान्त बैठि, निज रूप सँवारति,

पल-पल पलटति, छलक छन छन छवि धारति,

मानों जादू भरी, विश्व बाजीगर थैली,

खेलत में खुल परी, शैल के सिर फैली।'

संदर्भ : ये पंक्तियां कवि श्रीधर पाठक द्वारा रचित ‘कश्मीर सुषमा’ पाठ से ली गईं हैं। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि प्रकृति की सुंदरता का वर्णन किया है।

व्याख्या : कवि कहता है, कि यहाँ की प्रकृति एकदम अलग है, जो अपना रंग रूप रोज सवांरती है। प्रकृति पल अपना रूप परिवर्तिक करती है, और उसका हर रूप मनमोहक है। प्रकृति के इस सुंदर मनमोहक रूप को देख कर लगता है, जैसे ये कोई संसार रूपी जादूगर की कोई जादुई थैली है, जो खुले मैदान में किसी परी की भाँति की खेल रही, जिसका रूप-सौंदर्य पर्वतों की ऊँचाईयों तक फैला है।

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