प्रश्न 8. 'गणितज्ञ-ज्योतिषी आर्य भट्ट' पाठ में वर्णित 'आर्य भटीय' ग्रंथ की खोज किसने की थी? इस ग्रंथ के बारे में आप क्या
जानते हैं? लिखिए।
उत्तर
Answers
Answer:
आर्यभटीय नामक ग्रन्थ की रचना आर्यभट प्रथम (४७६-५५०) ने की थी।
यह संस्कृत भाषा में आर्या छंद में काव्यरूप में रचित गणित तथा खगोलशास्त्र का ग्रंथ है।
इसकी रचनापद्धति बहुत ही वैज्ञानिक और भाषा बहुत ही संक्षिप्त तथा मंजी हुई है।
इसमें चार अध्यायों में १२३ श्लोक हैं।
आर्यभटीय, दसगीतिका पाद से आरम्भ होती है।
इसके चार अध्याय इस प्रकार हैं :-
1. दश-गीतिका-पाद
2. गणित-पाद - खगोलीय अचर (astronomical constants) तथा ज्या-सारणी (sine table) ; गणनाओं के लिये आवश्यक गणित
3. काल-क्रिया-पाद - समय-विभाजन तथा ग्रहों की स्थिति की गणना के लिये नियम
4. गोल-पाद - त्रिकोणमितीय समस्याओं के हल के लिये नियम; ग्रहण की गणना
Answer:
"गणितज्ञ-ज्योतिषी आर्य भाटिया" पुस्तक के लेखक एस.एन. सेन
Explanation:
किताब: एक किताब लेखन या छवियों के रूप में जानकारी दर्ज करने का एक माध्यम है, जो आम तौर पर एक साथ बंधे और कवर द्वारा संरक्षित कई पृष्ठों (चर्मपत्र, कागज, कपड़े या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से बने) से बना होता है। पुस्तकें हजारों वर्षों से उपयोग में हैं, और ज्ञान को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाने में सहायक रही हैं। पुस्तकों का उपयोग सीखने, मनोरंजन या दोनों के लिए किया जा सकता है, और यह दुनिया में मुद्रित मीडिया का सबसे लोकप्रिय रूप है।
इसे गणित और ज्योतिष के क्षेत्र में एक क्लासिक माना जाता है और इसे व्यापक रूप से भारतीय गणित के इतिहास में एक महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। यह पुस्तक प्राचीन भारत के सबसे प्रसिद्ध गणितज्ञों और ज्योतिषियों में से एक आर्यभट्ट के जीवन और कार्यों पर चर्चा करती है। यह गणित, खगोल विज्ञान और ज्योतिष में उनके योगदान की विस्तार से पड़ताल करता है और उनके सिद्धांतों और विधियों का गहन विश्लेषण प्रदान करता है।
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